Punjab Election 2022: पंजाब में चुनाव प्रचार अपने आखिरी दौर में है और सत्तारूढ़ कांग्रेस (Congress) समेत सभी पार्टियां पूरी ताकत झोंकी हुई है. पंजाब कांग्रेस के लिए काफी अहम है क्योंकि राज्य दर राज्य कांग्रेस की राजनीतिक जमीन लगातार सिमटती जा रही है. खास कर उन राज्यों में जहां की राजनीति में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलता है वहां कांग्रेस पिछड़ती चली जाती है. इस बार पंजाब में भी त्रिकोणीय मुकाबला है. ऐसे में अगर कांग्रेस यहां सत्ता नहीं बचा पाई तो फिर पार्टी के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाएगी. 


तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, यूपी और बिहार में कभी कांग्रेस का एकक्षत्र राज था लेकिन फिर इन जगहों पर क्षेत्रीय और छोटे दलों के उभरने के बाद कांग्रेस कमजोर होती चली गई. सबसे ताजा उदाहरण दिल्ली का है जहां आम आदमी पार्टी के मैदान में आने के बाद से बीते दो विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला है. अब यही खतरा कांग्रेस के लिए पंजाब में दस्तक दे रहा है, जहां 20 फरवरी को मतदान है.


दस सालों तक अकाली दल के शासन के बाद 2017 में पंजाब में कांग्रेस को दो तिहाई बहुमत मिला था. आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी जोर लगाई थी लेकिन लोगों ने कांग्रेस (Congress) और कैप्टन अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) पर भरोसा किया. पौने पांच साल बाद आखिर के महीने में कांग्रेस ने कैप्टन को हटा कर चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) को मुख्यमंत्री बना कर सरकार विरोधी माहौल काटने की कोशिश की लेकिन प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के आत्मघाती रवैये के कारण पार्टी बुरी तरह मुश्किलों में फंसी है. 


इस बार आम आदमी पार्टी नई ताकत के साथ कांग्रेस को चुनौती दे रही है. अकाली दल भी मैदान में है. इस त्रिकोणीय लड़ाई को कांग्रेस यह सोच कर अपने लिए अनुकूल मान रही है कि सत्ता विरोधी वोट बांटने से उसे फायदा होगा लेकिन अगर उसका गणित गड़बड़ाया तो पंजाब में पार्टी का अस्तित्व दांव पर लग सकता है. 


राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल, उत्तराखंड जैसे राज्यों में कांग्रेस बीजेपी का मुकाबला करती है लेकिन जिस राज्य में भी बीजेपी के अलावा कोई तीसरा दल या दो अन्य दल उसके मुकाबले में आ जाते हैं वहां कांग्रेस के लिए काफी मुश्किलें खड़ी हो जाती हैं. फिर कांग्रेस सहयोगी दल की बैसाखी पर निर्भर हो जाती है. झारखंड, बिहार, महाराष्ट्र इसके उदाहरण हैं. 


यही कारण है कि पंजाब में कांग्रेस कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती. उसके लिए एक राहत की बात है कि आम आदमी पार्टी क्षेत्रीय दल नहीं है. लेकिन यही खतरा भी है क्योंकि अगर पंजाब में कांग्रेस आम आदमी पार्टी के हाथों हारी तो आने वाले दिनों में उसे हिमाचल, गुजरात जैसे राज्यों में आप का सामना करना पड़ेगा. 


उत्तराखंड और गोवा में आम आदमी पार्टी कांग्रेस (Congress) के लिए बड़ी सरदर्दी की वजह बन चुकी है. अकाली दल का पंजाब में मजबूत वोट बैंक है. इस बार बीजेपी के अलग लड़ने से अकाली दल के चुनौती है लेकिन इससे कांग्रेस को भी अपने वोट बैंक में सेंध लगने का खतरा है.


हालांकि कांग्रेस नेता इस त्रिकोणीय लड़ाई के फॉर्मूले को मानने से इंकार करते हैं. पंजाब में चुनाव प्रचार करने आए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि अलग-अलग राज्य की परिस्थितियों पर निर्भर करता है. चुनाव नतीजों में ही साफ होगा कि कांग्रेस पंजाब के त्रिकोणीय चक्रव्यूह में फंसेगी या बचेगी लेकिन अगर वह फंस गई तो फिर उस झटके से उबरना उसके लिए आसान नहीं होगा.


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