NAAC Grading For Colleges & Universities: नैक यानी राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद् शिक्षण संस्थानों को ग्रेडिंग देता है. इसके आधार पर ही कॉलेजों की गुणवत्ता तय होती है. आइए जानते हैं क्या है नैक ग्रेडिंग. कैसे इसे प्राप्त किया जा सकता है और इसके लिए नियम क्या होते हैं.


कैसे काम करती है नैक ग्रेडिंग


नैक यानी नेशनल असेसमेंट एंड एक्रीडेशन काउंसिल का काम देशभर की यूनिवर्सिटीज, हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स और प्राइवेट इंस्टीट्यूट्स की क्वालिटी परखना और उनको रेटिंग देना है. यूजीसी ने जो नई गाइडलाइंस जारी की हैं उनके मुताबिक सभी शिक्षण संस्थानों को नैक से मान्यता पाना जरूरी है. अगर कोई संस्थान यहां से मान्यता नहीं लेता है तो उसे किसी गवर्नमेंट पॉलिसी का फायदा नहीं मिलता है.


कैसे मिलती है ग्रेडिंग


कॉलेज, यूनिवर्सिटी या कोई और उच्च शिक्षण संस्थान सभी मानकों को पूरा करने पर नैक ग्रेडिंग के लिए आवेदन करता है. आवेदन के बाद नैक की टीम संस्थान में आती है और यहां का इंस्पेक्शन करती है. इस दौरान वे एजुकेशनल फैसिलिटीज, इंफ्रास्ट्रक्चर, कॉलेज एटमॉस्फियर जैसे विभिन्न पहलुओं की जांच करते हैं. अगर नैक की टीम संतुष्ट होती है तो कॉलेज को उसी आधार पर सीजीपीए दिए जाते हैं, जिसके बेसिस पर बाद में ग्रेड दिया जाता है.


इतने साल के लिए होता है मान्य


एक बार नैक ग्रेडिंग मिल जाने के बाद ये चार साल के लिए मान्य होता है. चार साल बाद फिर से रेटिंग दी जाती है. नैक में टेम्परेरी ग्रेडिंग की भी व्यवस्था है, जिसमें दो साल के लिए ग्रेडिंग दी जाती है. अगर कोई कॉलेज या यूनिवर्सिटी मिले ग्रेड से खुश नहीं है तो 6 महीने के बाद फिर से ग्रेड के लिए आवेदन कर सकता है.


इस दौरान उन्हें अपनी कमियां दूर करनी होती हैं और दस हजार रुपये शुल्क के साथ फिर से आवेदन करना होता है. लेकिन इस तरह की ग्रेडिंग दो ही साल के लिए मान्य होती है. स्टूडेंट्स एडमिशन के पहले पता कर सकते हैं कि उस कॉलेज को क्या ग्रेड मिला है.


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