देश की उच्च शिक्षा में ऐतिहासिक बदलाव की दिशा में सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), जो 1953 में स्थापित हुआ था और 1956 में संसद के अधिनियम के तहत वैधानिक निकाय बना, अब इतिहास बनने जा रहा है. इसकी जगह विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान (VBSA) बनेगा, जो देश के सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों का एकीकृत नियामक होगा.
UGC की स्थापना 28 दिसंबर 1953 को तत्कालीन शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद ने की थी. इसका उद्देश्य भारत में विश्वविद्यालय शिक्षा के मानक तय करना, उन्हें बनाए रखना और विश्वविद्यालयों को मान्यता देना था. वर्षों से UGC ने देश में उच्च शिक्षा की दिशा निर्धारित की और लाखों छात्रों के लिए शिक्षा की नींव रखी.
अब होगा सब एक जगह
सरकार ने उच्च शिक्षा के नियमन में एकीकरण लाने का निर्णय लिया है. इसके तहत यूजीसी, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) का विलय कर विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान (VBSA) बनाया जाएगा. यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप है.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि वर्तमान में अलग-अलग नियामक संस्थाओं के होने से नियमों में दोहराव, देरी और भ्रम की स्थिति बनी रहती थी. VBSA के गठन से यह समस्या खत्म होगी. अब विश्वविद्यालय, तकनीकी संस्थान और शिक्षक शिक्षा संस्थान एक ही ढांचे के तहत संचालित होंगे. इससे फैसले तेजी से होंगे, पारदर्शिता बढ़ेगी और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा.
पहली बार IIT और IIM भी शामिल
VBSA के लागू होने के बाद पहली बार IIT और IIM जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों को भी इस दायरे में लाया जाएगा, जो अब तक यूजीसी या एआईसीटीई के अधीन नहीं थे. इसका मतलब है कि देश की सभी उच्च शिक्षा संस्थाओं को एक समान नियामक और गुणवत्ता मानक मिलेगा.
तीन प्रमुख स्तंभ होंगे
विकसित भारत शिक्षा विनियम परिषद : नियामक की भूमिका निभाएगी.विकसित भारत शिक्षा गुणवत्ता परिषद : प्रत्यायन और मान्यता से जुड़े काम देखेगी.विकसित भारत शिक्षा मानक परिषद : शैक्षणिक मानकों को तय करेगी.
सभी संस्थानों पर लागू होंगे समान नियम
VBSA के नियम केंद्रीय, राज्य और निजी विश्वविद्यालयों पर समान रूप से लागू होंगे. इसमें ओपन यूनिवर्सिटी, डिजिटल और ऑनलाइन शिक्षा संस्थान भी शामिल होंगे. पहले सामान्य विश्वविद्यालयों का नियमन UGC करता था, तकनीकी संस्थानों के लिए AICTE जिम्मेदार था और शिक्षक शिक्षा संस्थानों के लिए NCTE. अब यह पूरा काम एक ही संस्था करेगी, जिससे शिक्षा व्यवस्था सरल, स्पष्ट और प्रभावी बनेगी.
जुर्माने और सख्त प्रावधान
VBSA के तहत नियम तोड़ने पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान रखा गया है. नियामक परिषद को अधिनियम या नियमों के उल्लंघन पर 10 लाख से 75 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने का अधिकार होगा. बिना अनुमति के उच्च शिक्षा संस्थान स्थापित करने पर दो करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा.
अध्यक्षों और सदस्यों की नियुक्ति
VBSA और उसकी तीनों परिषदों के अध्यक्षों का चयन राष्ट्रपति करेंगे. अध्यक्ष की नियुक्ति तीन साल के लिए होगी, जिसे बढ़ाकर पांच साल तक किया जा सकता है. हर परिषद में 14 सदस्य होंगे. कर्तव्य में लापरवाही बरतने पर राष्ट्रपति के पास उन्हें हटाने का अधिकार भी होगा. जरूरत पड़ने पर केंद्र सरकार आयोग या परिषदों को भंग भी कर सकेगी.
ये भी पढ़ें: NCERT ने साल 2025 में सिलेबस में किए ये बड़े बदलाव, आपके लिए भी जानना बेहद जरूरी
Education Loan Information:
Calculate Education Loan EMI