दुबई एयर शो में शुक्रवार को देश का गर्व तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट प्रदर्शन के दौरान हादसे का शिकार हो गया. इस दुर्घटना में भारतीय वायुसेना के शूरवीर पायलट विंग कमांडर नमन स्याल ने अपनी जान कुर्बान कर दी. यह तेजस की 2016 में फोर्स में शामिल होने के बाद दूसरी बड़ी दुर्घटना है. हादसे ने पूरे देश, खासकर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले को गहरे सदमे में डाल दिया है, जहां नमन का परिवार रहता है.
नमन स्याल हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के नगरोटा बगवान तहसील के पटियालकर गांव के रहने वाले थे. बेहद अनुशासित और शांत स्वभाव के नमन ने शुरू से ही देश की सेवा का सपना देखा था. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा सैनिक स्कूल, सुजानपुर टीरा से की वही स्कूल जो भारतीय सेना और वायुसेना को कई बेहतरीन ऑफिसर देने के लिए जाना जाता है. उनकी उम्र 34 से 37 वर्ष के बीच बताई जा रही है. बचपन से ही वह पढ़ाई और खेल, दोनों में शानदार थे. स्कूल के दिनों में ही उनका फोकस भारतीय वायुसेना में जाने पर था. 24 दिसंबर 2009 को वह भारतीय वायुसेना में कमीशन हुए और यहीं से उनकी असली उड़ान शुरू हुई.
यह भी पढ़ें - सीबीएसई बोर्ड की 10वीं की दूसरी परीक्षा सिर्फ 40% छात्रों के लिए, कुछ छात्र होंगे बाहर; जान लें डिटेल्स
देश के सबसे बेहतरीन विमानों को उड़ाने का अनुभव नमन स्याल सिर्फ तेजस ही नहीं, बल्कि कई बड़े और जटिल फाइटर जेट उड़ा चुके थे. नमन हाल ही में तेजस की तीसरी स्क्वाड्रन में तैनात थे और उन्हें दुबई एयर शो में भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान को दुनिया के सामने दिखाने की जिम्मेदारी दी गई थी.
एयरफोर्स से जुड़ा परिवार
विंग कमांडर नमन स्याल के परिवार में देशसेवा की परंपरा रही है. उनके पिता जगन्नाथ स्याल भारतीय सेना के मेडिकल कोर में रहे और रिटायर होने के बाद हिमाचल शिक्षा विभाग में प्रिंसिपल बने. उनकी पत्नी अफसान खुद भारतीय वायुसेना में अधिकारी हैं. उनकी पांच-छह साल की बेटी है, जो परिवार की आंख का तारा है. उनकी मां बीना देवी बेटे और बहू से मिलने हैदराबाद आई हुई थीं, जहां नमन पोस्टेड थे. दुर्घटना के समय नमन की पत्नी कोलकाता में एक कोर्स के लिए गई थीं, जबकि माता-पिता तमिलनाडु के सुलूर एयरबेस पर मौजूद थे.
यह भी पढ़ें - UP में निकली आंगनवाड़ी की बड़ी भर्ती, 16 हजार से ज्यादा पद खाली, ऐसे कर सकते हैं आवेदन
Education Loan Information:
Calculate Education Loan EMI