देश की सर्वोच्च अदालत ने राजस्थान के शिक्षा अधिकारियो को आदेश का पालन न करने पर नोटिस जारी किया है. सुप्रीट कोर्ट द्वारा जारी किए गए नोटिस में पूछा गया है कि साल 2019 के उसके आदेश का पालन न करने पर उनके खिलाफ क्यों न अवमानना की कार्यवाही की जाए.बता दें कि जस्टिस आरएफ नरीमन, बीआर गवई और हृषिकेश रॉय की तीन सदस्यीय बेंच ने राजस्थान के शिक्षा अधिकारियो को अवमानना नोटिस जारी कर चार हफ्ते के भीतर  जवाब दाखिल करने क लिए कहा है. गौरतलब है कि बेंच ने अधिकारियों को निजी पेशी से छूट दी है.

इस मामले में जारी हुआ नोटिस

जानकारी के मुताबिक कुल साल पहले बिश्वम्भर लाल माहेश्वरी एडुकेशन फाउंडेशन एक सरकारी एडेड शिक्षण संस्थान था जो बंद हो गया था. इस संस्थान को सरकार से 70 फीसदी सहायता प्राप्त होती थी.लेकिन स्टूडेंट्स की लगातार घटती संख्या को देखते हुए संस्थान को बंद करने का फैसला लिया गया और शिक्षा विभाग से भी सहायता न देने कि लिए कहा गया. संस्थान तो बंद हो गया लेकिन शिक्षकों का बकाया वेतन नहीं मिला. जिसके बाद इन शिक्षकों ने अपने बकाये वेतन और भत्ते हेतु ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया. ट्रिब्यूनल द्वारा भी संस्थान को शिक्षकों का बकाया वेतन चुकाने के लिए कहा गया था. जिसके बाद शिक्षकों को उनका बकाया वेतन दे दिया गया था. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में सितम्बर महीने में राजस्थान शिक्षा विभाग से 70 फीसदी सहायता राशि संस्थान को वापस देने का आदेश दिया था.

संस्थान की ओर से पेश वकील की दलीलें सुनने के बाद जारी किया गया नोटिस

वहीं संस्थान की ओर से पेश वकील दुष्यंत परासर ने सर्वोच्च अदालत में कहा कि दो बार कानूनी नोटिस भेजे जाने के बाद भी शिक्षा विभाग ने कोई जवाब नहीं दिया है. इसी वजह से उन्होंने अब अवमानना याचिका दायर की है. परासर द्वारा ये भी कहा गया थि जानबूझकर आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है. संस्थान की ओर से पेश वकील दुष्यंत परासर की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान शिक्षा अधिकारियो के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी कर दिया है.

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