Success Story Of IAS Topper Sumit Kumar Rai: सुमित की यूपीएससी की जर्नी आसान नहीं थी. इस सफर में जितना उनके धैर्य की परीक्षा हुयी उतना जीवन में कभी नहीं हुयी. सुमित को एक दो बार नहीं पूरे चार बार असफलता का मुंह देखना पड़ा. इन सालों में एक समय ऐसा आ गया था कि वे डिप्रेस्ड फील करने लगे पर कैसे भी करके उन्होंने खुद को बिखरने नहीं दिया और हर बार हिम्मत करके उठ खड़े हुए. आखिरकार उन्हें उनकी सालों की मेहनत का फल मिला जब पांचवें अटेम्पट में न केवल वे सफल हुए बल्कि 54वीं रैंक के साथ उन्होंने टॉप भी किया. सुमित इन सालों में लगातार नौकरी कर रहे थे. नौकरी न छोड़ने के उनके अपने कारण थे पर इस वजह से उन्होंने हमेशा अतिरिक्त दबाव का सामना करके तैयारी की. उनकी नौकरी सुबह 8.30 से शाम 6 बजे तक होती थी. ऐसे में वीकेंड्स के अलावा उनके पास रोज के दिनों में केवल पांच से छ घंटे का टाइम ही पढ़ाई के लिए होता था. वे जैसे-तैसे समय निकालकर तैयारी करते थे. आज जानते हैं सुमित के इस सफर के बारे में विस्तार से.


सुबह-शाम करते थे पढ़ाई


सुमित अपने इस सफर के बारे में बताते हुए कहते हैं कि मैं रोज सुबह चार बजे उठ जाता था. ऑफिस जाने के पहले दो से तीन घंटे की पढ़ाई हो जाती थी. इसके बाद इतने ही घंटे ऑफिस से आने के बाद पढ़ता था. हां वीकेंड्स में जरूर ज्यादा समय मिल जाया करता था, जिसका वे लाभ उठाते थे. ऐसे कैंडिडेट्स के लिए छुट्टी मतलब ज्यादा मेहनत का दिन होता है क्योंकि ये वो दिन होते हैं जब वे अपने टारगेट के हिसाब से पढ़ाई कर सकते हैं. सुमित कहते हैं वे पढ़ाई के लिए रोज के रोज अपने गोल्स तय करते थे. जैसे आज फलाने विषय का यह टॉपिक खत्म करना है, आज ये किताब यहां तक पूरी करनी है आदि. सुमित कोशिश करते थे कि दिन के अंत में वे अपने टारगेट को पूरा करके ही दम लें. कई बार ऐसा होता था तो कई बार ऐसा नहीं भी हो पाता था.


सुमित के संर्घष


सुमित ने एक-दो बार नहीं पूरे पांच बार यह परीक्षा दी है. यूपीएससी जैसी परीक्षा की तैयारी जो इंसान को झकझोर देती है उसमें इतने साल देना आसान नहीं है वो भी तब जब असफलता पर असफलता हाथ लग रही हो और कारण हर बार अलग होते हों. लेकिन सुमित किसी भी हार से घबराने वालों में से नहीं हैं. ऑफिस स्ट्रेस के कारण वे कई बार घर आकर भी नहीं पढ़ पाते थे, कई बार इतना थक जाते थे कि वापस आकर नहीं पढ़ पाते थे पर सुमित हमेशा लगे रहे, कभी रुके नहीं. आखिरकार उनकी सालों की मेहनत सफल हुयी और साल 2018 में सुमित ने न केवल यूपीएससी परीक्षा पास की बल्कि 54वीं रैंक लाकर वे टॉपर भी बने. इस पूरे सफर में सुमित की मेहनत और धैर्य काबिले तारीफ है.


क्या कहता है सुमित का अनुभव


सुमित कहते हैं कि इस बात से खास फर्क नहीं पड़ता कि आपका बैकग्राउंड क्या रहा है हर किसी को अपने हिस्से की मेहनत तो करनी ही पड़ती है. यह परीक्षा बहुत-बहुत हार्डवर्क और डेडिकेशन मांगती है. सुमित कहते हैं शुरू में अपना बेस मजबूत करने के लिए पढ़ाई करनी चाहिए क्योंकि बिना बेस के मजबूत हुए इस परीक्षा में सफल नहीं हुआ जा सकता. हां एक बार बेसिक्स क्लियर हो जाने के बाद आगे के लिए आसानी रहती है. किताबों को लेकर ज्यादा कंफ्यूज़ न हों, जो है उसे ही ठीक से पढ़ें और बार-बार रिवाइज़ करें.


इसके अलावा सुमित कैंडिडेट्स को टिप्स देते हैं कि किसी की न सुनें केवल वही करें जो आपका दिल कहता है. निराशावादी लोगों से दूर रहें और इस बात का भी ध्यान रखें कि इस परीक्षा की तैयारी के दौरान हर कोई डिप्रेस्ड फील करता है क्योंकि यह सफर है ही बहुत लंबा लेकिन इससे पार पाना पड़ता है. अगर सही स्ट्रेटजी बनाकर पूरे दिल से तैयारी करेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी. कई बार यह देर से मिलती है पर मिलती जरूर है.


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