Success Story Of IAS Topper Rahul Bhat: राहुल ने यूपीएससी परीक्षा देने के पहले मैकेनिकल इंजीनयरिंग की पढ़ाई की है. इंजीनियरिंग ग्रेजुएट राहुल भट्ट ने कुछ समय नौकरी भी की उसके बाद उन्होंने इस क्षेत्र में आने की योजना बनाई. अपने दूसरे प्रयास में साल 2017 में यूपीएससी परीक्षा में सफल होने वाले राहुल भट्ट मानते हैं कि मेन्स के साथ ही रैंक बनाने में पर्सनेलिटी टेस्ट की अहम भूमिका होती है और इस टेस्ट की तैयारी करने में डैफ महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसलिए कैंडिडेट्स को सोच-समझकर यह फॉर्म भरना चाहिए. आज जानते हैं राहुल से डैफ भरने और पर्सनेलिटी टेस्ट की तैयारी ठीक से करने के बारे में पूरी जानकारी.


 यहां देखें राहुल भट्ट  द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया इंटरव्यू



जम्म-कश्मीर के हैं राहुल –


राहुल भट्ट मुख्य रूप से ऊधमपुर, जम्मू और कश्मीर के रहने वाले हैं पर उनकी परवरिश और पूरी पढ़ाई दिल्ली से हुई है. शुरुआती शिक्षा के बाद उन्होंने पुणे के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और वहीं से प्लेसमेंट में सेलेक्कट होकर एक बड़ी कंपनी में काम करने लगे. यहां राहुल ने करीब डेढ़ साल काम किया. फिर कुछ कारणों से राहुल ने यूपीएससी के क्षेत्र में आने की योजना बनाई और नौकरी छोड़कर तैयारी में लग गए.


राहुल ने अपना पहला अटेम्पट साल 2015 में दिया था, जिसमें वे प्री परीक्षा ही पास कर पाए थे और मेन्स में दो अंक से रह गए थे. अपने पिछले अनुभवों से सीखते हुए राहुल ने पूरा जोर लगा दिया और अगले अटेम्पट में जो उन्होंने 2017 में दिया 68वीं रैंक के साथ यह परीक्षा पास की. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में राहुल ने डैफ भरने का सही तरीका और पर्सनेलिटी टेस्ट की तैयारी के विषय में खुलकर बात की.


डैफ होता है पर्सनेलिटी टेस्ट का सिलेबस –


राहुल कहते हैं कि लोगों का मानना होता है कि पर्सनेलिटी टेस्ट में कुछ भी पूछा जा सकता है, यह एवरिथिंग अंडर द सन वाली कंडीशन होती है, लेकिन वे ऐसा नहीं मानते. वे कहते हैं आपका डैफ बहुत हद तक पर्सनेलिटी टेस्ट की रूप-रेखा बनाता है. उसमें भरी हर चीज की जानकारी आपको होनी चाहिए. मोटे तौर पर कहें तो राहुल मानते हैं कि डैफ एक प्रकार से पर्सनेलिटी टेस्ट का सिलेबस होता है. कम से कम आपको डैफ से इतना पता होता है कि क्या-क्या जरूर तैयार करना है. इसलिए इसे भरते समय सावधानी रखें और जो भी इसमें लिखें, उसे एक्स, वाई, जेड पूरा तैयार करें. यहां तक कि अपने नाम का भी पूरा मतलब, ये शब्द कहां से आया है वगैरह सब आपको पता होना चाहिए.


ब्लफ न करें –


यह बात सुनने में थोड़ी अजीब लग सकती है पर राहुल कहते हैं कि कई बार कई कैंडिडेट्स की कोई हॉबी भी नहीं होती. ऐसे में ब्लफ न करें और केवल भरने के लिए कुछ भी न भर दें. अगर आपके अंदर ऐसा कुछ नहीं है तो बेहतर होगा कॉलम खोली छोड़ दें. दूसरी कंडीशन यह होती है जब कुछ लोगों की हॉबी इतनी सिंपल भी हो सकती है जैसे वॉकिंग, रनिंग आदि. हालांकि यह भी भरें तो इसकी पूरी जानकारी इकट्ठी कर लें. जैसे सुबह के समय वॉक पर जाते हैं तो एयर का एआईक्यू कितना होता है. कितना एआईक्यू खतरनाक होता है वगैरह-वगैरह. कहने का मतलब है कि फॉर्म में वहीं चीजें भरें जो आपकी पर्सनेलिटी का सच बयां करती हों और उन्हें पूरी तरह तैयार करें. कुछ भी लिख देना या झूठ बोलना जैसे प्रयास कतई न करें.


सॉरी न बोलें –


राहुल कहते हैं कि वे इसे इंटरव्यू नाम नहीं देना चाहते क्योंकि यह इंटरव्यू न होकर आपकी पूरी पर्सनेलिटी का टेस्ट होता है. आपका चीजों को देखने का तरीका, आपकी पसर्नेलिटी, बात करने का तरीका, अपनी बात रखने का ढ़ंग, इंकार करने का तरीका आदि सब चेक किया जाता है. इसलिए पर्सनेलिटी टेस्ट के पहले कुछ मॉक इंटरव्यूज दें ताकि पता चल सके कि आप में कहा सुधार की गुंजाइश है. राहुल एक बात और कहते हैं कि बात-चीत के दौरान कोशिश करें कि सॉरी न बोलें. यह आपका दिन है और आपके लिए काफी खास भी है. ऐसे में कांफिडेंस के साथ अंदर जाएं और अपनी बात रखें. उनके अनुसार सॉरी शब्द आपकी कमजोरी दर्शाता है इसलिए इसके अलावा कोई और तरीका इस्तेमाल करें अगर आप उनकी बात से एग्री नहीं करते तो. अपनी सर्विस प्रिफरेंस को लेकर भी सॉलिड प्वॉइंट्स तैयार करके रखें ताकि उन्हें समझा सकें कि कोई सर्विस आप क्यों चुनना चाहते हैं. अंत में राहुल यही कहते हैं कि कांफिडेंस बनाएं रखें, हम्बल रहें और सच बोलें, ये पर्सनेलिटी टेस्ट के लिए बहुत अहम है.


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