Success Story Of IAS Topper Pradeep Singh: प्रदीप सिंह की कहानी किसी भी यूपीएससी कैंडिडेट के लिए काफी प्रेरणादायक है. चाहे वह उनका बार-बार इस परीक्षा में सफल होना हो या उनका साधारण बैकग्राउंड, वे हर मायने में किसी के भी लिए इंस्पिरेशन बन सकते हैं. हम पहले भी प्रदीप की कहानी यहां कह चुके हैं लेकिन तब प्रदीप का वह पहला प्रयास था जिसमें वे 93वीं रैंक के साथ पास हुए थे. आज भी कैंडिडेट वही है लेकिन एक और बड़ी सफलता उनके नाम हो चुकी है. प्रदीप ने दोबारा यूपीएससी सीएसई परीक्षा दी और इस बार 26वीं रैंक के साथ टॉपर बने. दरअसल प्रदीप को पिछली बार भी आईएएस सेवा मिलने की उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उन्हें आईआरएस सेवा एलॉट हुई. इसलिए प्रदीप ने फिर परीक्षा दी और अंततः अपने सपने को पाया.


दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में प्रदीप ने परीक्षा की तैयारी के संबंध में तो बात की ही साथ ही मुख्य फोकस किया इस बात पर कि कैंडिडेट्स अपनी रैंक कैसे इम्प्रूव कर सकते हैं.


प्रदीप का छोटा सा परिचय –


प्रदीप एक बहुत ही साधारण परिवार से हैं और घर की माली हालत देखते हुए उन्होंने तय किया था कि वे पहले ही प्रयास में यह परीक्षा निकालेंगे. पिताजी पेट्रोल पंप पर काम करते थे और घर बेचकर प्रदीप की पढ़ाई और दिल्ली में रहने की व्यवस्था की गई थी. प्रदीप इन सब बातों से बहुत दबाव महसूस करते थे लेकिन यह दबाव सकारात्मक था जो उन्हें सफलता के लिए दिन-रात मोटिवेट करता था. आखिरकार प्रदीप की डेढ़ साल की कड़ी मेहनत रंग लाई और उनका चयन हो गया.


चयन होने के बाद भी प्रदीप के साथ त्रासदी यह हुई कि वे आईएएस सेवा में जाना चाहते थे लेकिन उन्हें आईआरएस मिला. हालांकि प्रदीप ने हिम्मत नहीं हारी और फिर से कोशिश की.


यहां देखें प्रदीप सिंह द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू –



हमेशा से चाहिए थी आईएएस सेवा –


इस परीक्षा की अनिश्चित्ता से हर कोई वाकिफ है फिर भी प्रदीप ने दोबारा एग्जाम देने का रिस्क लिया. कई बार ऐसा होता है कि कैंडिडेट पहले प्रयास में तो सभी चरण पास कर जाते हैं लेकिन अगले चरण में प्री भी नहीं निकाल पाते. प्रदीप भी इन चीजों से वाकिफ थे पर उन्हें अपने सपने पर और अपनी कड़ी मेहनत पर पूरा विश्वास था. दरअसल उन्होंने पहले प्रयास के बाद तैयारी कभी रोकी ही नहीं और जब तक रैंक एलॉटमेंट का रिजल्ट आया वे अगले अटेम्प्ट की प्रिपरेशन कर रहे थे. नतीजा यह हुआ की दूसरे अटेम्प्ट में प्रदीप का आसानी से प्री क्लियर हो गया और वे मेन्स की तैयारी में जुट गए.


कहां इम्प्रूव करें, यह था मुश्किल सवाल –


जैसा कि हम जानते हैं कि प्रदीप की रैंक पहले ही बहुत अच्छी थी और उनके मेन्स में भी सभी विषयों में अच्छे अंक आए थे, ऐसे में प्रदीप के सामने बड़ा सवाल यह था कि इंप्रूव करें तो कहां. तब उन्होंने तय किया कि थोड़ा-थोड़ा इंप्रूवमेंट हर विषय में करना चाहिए.


इसी के साथ प्रदीप ने ऐस्से, जनरल स्टडी और ऑप्शनल तीनों पर फोकस किया और उनमें अंक बढ़ाने के लिए अतिरिक्त प्रयास शुरू किए. अपनी पहले साल की गलतियों पर काम किया और जहां कोई भी छोटी-बड़ी कमी थी उसे सुधारा. अपने सीनियर्स की सलाह ली और यह पूछा कि कहां कमी है और उस सब पर काम किया. प्रदीप ने साक्षात्कार के लिए भी इस बार बहुत मेहनत की क्योंकि उन्हें पिछली बार के साक्षात्कार में एवरेज अंक मिले थे, इसलिए इस एरिया में अधिक मेहनत की जा सकती थी.


प्रदीप का अनुभव –


प्रदीप कहते हैं कि इस एग्जाम को पास करने में पेशेंस और पर्सिवरेंस अहम भूमिका निभाते हैं. यह एक लंबी प्रक्रिया है जो सालों चलती है पर इस दौरान हिम्मत न हारें. एक बात याद रखें कि सच्ची और कड़ी मेहनत का फल आज नहीं तो कल मिलता जरूर है. अन्य जरूरी बात कि आप किसी भी क्षेत्र में कितने भी अच्छे हों पर सुधार की गुंजाइश हमेशा रहती है इसलिए देखें कि आप कहां सुधार कर सकते हैं, उसी हिसाब से एक्ट करें. अपने आप से कंपटीट करें और टेस्ट दें. देखें कि उन टेस्ट्स में भले एक या दो ही सही पर और नंबर कैसे पा सकते हैं. किसी विषय विशेष में समस्या होने पर उसके टेस्ट अलग से दें और पूरा-पूरा पेपर न देकर केवल उस विषय का पेपर दें जिसमें सुधार की जरूरत है.


टारगेट्स केवल सेट ही न करें उन्हें अचीव भी करें. तीनों स्टेजेस की प्रिपरेशन इंटीग्रेटेड करें अलग-अलग नहीं. हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश करें. अंत में बस इतना ही कि सिलेबस पूरा कवर करें, कोई एरिया वीक न छोड़े. रोज के रोज रिवीजन करें और पिछले साल के प्रश्न-पत्र जरूर देखें. अपनी सेहत का भी पूरा ध्यान रखें और योगा और मेडिटेशन करते रहें. सफलता जरूर मिलेगी.


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