Success Story Of IAS Topper Nikhil Thawal: यूपीएससी सीएसई परीक्षा एक ऐसा एग्जाम है जिसमें सालों की तैयारी और मेहनत के बाद भी कई बार कैंडिडेट्स का सेलेक्शन नहीं होता. लेकिन कुछ कैंडिडेट्स निखिल थवल जैसे भी होते हैं जो बिना कोचिंग के केवल सेल्फ स्टडी के दम पर एक नहीं दो-दो परीक्षाओं में सफल होते हैं, वो भी एक साथ एक ही साल में. निखिल ने साल 2017 में यूपीएससी सीएसई परीक्षा और यूपीएससी आईएफएस यानी इंडियन फॉरेस्ट सर्विसेस एग्जाम दोनों साथ में क्लियर किए. दोनों ही एग्जाम्स में निखिल का ऑप्शनल बॉटनी था. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में निखिल ने खासतौर पर बॉटनी विषय की तैयारी के बारे में बात की.


सिलेबस पर दें भरपूर ध्यान 


यूपीएससी परीक्षा को पास करने के लिए सिलेबस का महत्व किसी से छिपा नहीं है. निखिल भी बॉटनी विषय की तैयारी की शुरुआत करने से पहले सबसे पहले सिलेबस पर भरपूर ध्यान देने के लिए कहते हैं. वे कहते हैं कि सबसे पहले देख लें कि सिलेबस में कौन-कौन से प्रश्न आते हैं और किस विषय से कैसे प्रश्न बनते हैं. सिलेबस एक ऐसी चीज है जिसके बारे में भरपूर जानकारी हुए बिना आप तैयारी को आगे नहीं बढ़ा सकते.


सिलेबस के बाद दूसरी अहम चीज है पिछले साल के प्रश्न-पत्र. पिछले सालों के प्रश्न-पत्र देखकर भी आप बेहतर तरीके से जान सकते हैं कि बॉटनी में कहां से कैसे प्रश्न आते हैं. दरअसल किसी विषय को तैयार करना अलग बात है लेकिन उससे कैसे प्रश्न बनेंगे ये जानना अलग. इसलिए सिलेबस देखने के बाद लास्ट ईयर्स के प्रश्न-पत्र जरूर देखें.


आप यहां निखिल थवल का दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया इंटरव्यू देख सकते हैं



डायग्राम्स का है विशेष महत्व 


यूं तो साइंस विषयों या कहें बायोलॉजी विषयों में डायग्राम्स का विशेष महत्व होता है लेकिन बॉटनी खासतौर पर एक ऐसा सब्जेक्ट है जिसमें डायग्राम्स बनाना अच्छे अंक पाने का जरिया बन जाता है. उत्तरों को तैयार करते समय संबंधित चित्र जरूर बनाएं और उनकी लेबलिंग भी करें. इससे एग्जामिनर इंप्रेस होता है और आपको अच्छे अंक देता है. चूंकि परीक्षा के दौरान समय की विशेष कमी रहती है इसलिए मुख्य परीक्षा के पहले खूब प्रैक्टिस करें. ये प्रैक्टिस ही वह मंत्र है जिसके माध्यम से आप मेन एग्जाम में समय-सीमा के अंदर सभी उत्तर भी लिख सकते हैं और उनके चित्र भी लेबलिंग सहित बना पाएंगे.


संभव हो तो डायग्राम में कुछ रंगों का भी प्रयोग कर लें. हालांकि समय कम हो तो केवल डायग्राम बनाकर उसकी लेबलिंग करने से भी अच्छें अंक पाए जा सकते हैं. एक प्लेन आंसर की तुलना में डायग्राम वाला आंसर ज्यादा अंक पाने के काबिल होता है.


 निखिल की सलाह 


निखिल दूसरे कैंडिडेट्स को यही सलाह देते हैं कि किसी भी विषय को ऑप्शनल चुनने से पहले उसके बारे में दूसरे क्या कहते हैं, इस पर बिलकुल फोकस न करें. अगर आपकी इच्छा वह विषय लेने की है और सबसे बढ़कर आपको उस विषय में रुचि है तो वह स्कोरिंग है या नहीं या उससे सेलेक्शन कम होता है या ज्यादा जैसी चीजों में न पड़ें. कोई विषय रुचिकर लगता है तो उसे ही सेलेक्ट करें. मन का विषय दिन-रात पढ़ना ज्यादा आसान है बजाय स्कोरिंग के नाम पर कोई विषय चुनना जिसे पढ़ना बोरिंग हो जाए.


अंत में बस इतना ही कि पिछले सालों के पेपर देखकर पैटर्न का पता लगाएं और उसी हिसाब से तैयारी करें. खूब आंसर राइटिंग प्रैक्टिस करें ताकि पेपर छूटे नहीं और कहीं कोई समस्या आए तो इंटरनेट की सहायता लें. निखिल कहते हैं कि वर्तमान की सबसे बड़ी ब्लेसिंग ही इंटरनेट है. कहीं फंसे तो नेट की मदद लें. यही नहीं खास बॉटनी पेपर की तैयारी के लिए फेसबुक पर एक पेज है जिसकी मदद भी ली जा सकती है. इसे यूपीएससी सीएसई और आईएफएस दोनों परीक्षाओं की तैयारी में इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके अलावा टॉपर्स के इंटरव्यू आदि भी देख सकते हैं.


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