Success Story Of IAS Topper Anupama Anjali: साल 2018 की टॉपर अनुपमा अंजली मानती हैं कि यह परीक्षा कड़ी मेहनत तो मांगती ही है साथ ही इमोशनल लेवल पर भी एक रोलर कोस्टर राइड साबित होती है. प्रिपरेशन के सालों को काटना आसान नहीं होता खासकर बिना डिप्रेस हुए. पर इस जर्नी की खास बात यह है कि आप कुछ बनो न बनो पर तैयारी के अंत में एक इंसान के तौर पर इतना इंप्रूव कर चुके होते हो कि यह सौदा किसी भी सूरत में घाटे का सौदा साबित नहीं होता. आज यूपीएससी के इस सफर में कैसे खुद को इमोशनली और मेंटली स्ट्रांग रखें यह जानते हैं अनुपमा अंजली से.


सब हैं एक ही नैय्या में सवार –


इस बारे में बात करते हुए अनुपमा कहती हैं कि सबसे पहले तो किसी भी कैंडिडेट को यह नहीं सोचना चाहिए कि मेरा जीवन ही इतना मुश्किल क्यों है. दरअसल निगेटिव थॉट्स आना, डिप्रेस फील होना, लाइफ खराब हो गई है जैसे विचार केवल आपको नहीं आते हर किसी को आते हैं. जब आप अपने आस-पास वालों से खुद को कंपेयर करते हैं तो यह भावना और प्रबल हो जाती है कि बस हमारी ही जिंदगी ऐसी है जबकि ऐसा सच नहीं है. सच तो यह है कि यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने वाले सभी कैंडिडेट्स की जर्नी में यह पड़ाव आता है, इससे घबराएं नहीं और बाहर निकलने की कोशिश करें.


यूपीएससी दे रहें हैं यही बहुत बड़ी बात है –


अनुपमा कहती हैं खुद को मोटिवेट करने के लिए इतना ही बहुत है कि आपने यूपीएससी जैसी परीक्षा देने का साहस जुटाया है. इसके लिए खुद को क्रेडिट दें. अपनी जमी जमायी नौकरी या सेट लाइफ छोड़कर अगर कोई इस भंवर में कूदने का निर्णय लेता है तो यह छोटी बात नहीं है. इसलिए आप उन सभी कैंडिडेट्स से तो वैसे ही आगे हैं जो यह परीक्षा देने का साहस भी नहीं कर पाते. इसके लिए खुद को थोड़ा क्रेडिट दें.


अपने मोटिवेटर खुद बनें –


अनुपमा कहती हैं यह एक ऐसी परीक्षा है जिसमें कोई दूसरा आपको मोटिवेट नहीं कर सकता यहां केवल सेल्फ मोटिवेशन काम आता है. वे उदाहरण देते हुए बताती हैं कि जब स्टूडेंट्स दिल्ली आते हैं तैयारी के लिए तो कई बार मेट्रोपॉलिटन सिटी के मजे लेने में अपना लक्ष्य भूल जाते हैं. कई बार आपके फ्रेंड्स आपसे कहेंगे कि बहुत पढ़ लिया चलो कहीं घूमकर आते हैं वगैरह. ऐसे लोगों से और ऐसी गलतियों से आपको बचना है. बाहर जाकर यह न भूलें कि आप यहां क्यों आए हैं. ऐसे दोस्तों से दूर रहें और ऐसे टीचर्स से भी जो आपको डिमोटिवेट करते हों.


दिन की शुरुआत करें सेल्फ टॉक से –


अनुपमा कहती हैं आपका दिन कितना भी हेक्टिक होने वाला हो पर सुबह के कुछ घंटे यानी दिन की शुरुआत ठीक से करें. वे अपना केस बताती हैं जहां रोज सुबह मेडिटेशन करने के बाद ही वे दिन शुरू करती थी. इसके अलावा चाय के साथ अकेले बैठकर सेल्फ टॉक करती थी और खुद को मोटिवेटेड रखने की कोशिश करती थी. इसी में अनुपमा फिजिकल एक्सरसाइज को भी जोड़ती हैं. वे कहती हैं कई बार स्टूडेंट्स दिन के 12-12 घंटे पढ़ने में अपनी फिजिकल और मेंटल हेल्थ को इग्नोर कर देते हैं. यह गलत है, सच तो यह है कि दिन की 20 मिनट की वॉक भी आपमें वो ताजगी भर देगी कि आप सोच भी नहीं सकते.


बीच-बीच में ले ब्रेक, इसमें कुछ गलत नहीं –


यूपीएससी का मतलब यह कतई नहीं है कि आपको किताबों में ही घुसे रहना है. बीच-बीच में ब्रेक लेकर खुद को रिफ्रेश करना बहुत जरूरी है. अनुपमा खुद भी हर संडे आधे दिन कम से कम पढ़ाई के अलावा दूसरे काम करती थी. वे कहती हैं बोर हो जाना, पढ़ाई में मन न लगना या किसी दिन पढ़ने की इच्छा न करना सब नॉर्मल है और सबके साथ होता है. अपनी स्टडी साइकिल को समझें और अपने शरीर की सुनें और ब्रेक लेते हुए पढ़ाई करें इसमें कुछ भी गलत नहीं है.


अपने इमोशंस की सुनें –


अनुपमा कहती हैं कई बार यूपीएससी के कैंडिडेट्स के मन में यह विचार आता है कि हमारे बाकी दोस्त आराम से जिंदगी जी रहे हैं, मस्ती कर रहे हैं और हम यहां दिन-रात किताबों में घुसे हैं. और तो और कैंडिडेट को यह भी नहीं पता होता कि इस जीवन का कोई फायदा मिलने भी वाला है या नहीं. क्या वो सही दिशा में जा भी रहे हैं. जैसे अनुपमा अपनी दोस्त की पार्टी की फोटो फेसबुक पर देखकर बहुत विचलित हो गईं थी और एक दिन पढ़ नहीं पाईं. वे कहती हैं यह बेवकूफी की बात लग सकती है पर अपने अंदर उमड़ रहे इमोशंस की सुनें और उन्हें वहीं के वहीं शांत कर दें. अगर आपको दिमाग के बैक में वे चलते रहेंगे तो आपको परेशान करेंगे. जैसे अनुपमा ने अपने आप को समझाया कि मेरी जिंदगी एक दिन इनसे भी अच्छी होगी, आज की मेहनत का फल कल जरूर मिलेगी. कुल मिलाकर ऐसे इमोशंस पर नाराज न हों, उनको समझें और सॉल्व करें.


किसी भी तरह के डिस्ट्रेक्शन को दूर भगाएं –


अनुपमा कहती हैं डिस्ट्रेक्शन कोई भी हो चाहे दोस्त, रिश्तेदार, कोई काम जो फ्रूटफुल नहीं है, सभी को अपनी जिंदगी से दूर भगाएं. वह कोई भी चीज जो आपको पढ़ाई से इतर ले जाए उसे जीवन से हटा दें फिर चाहे वो टॉक्सिक रिलेशंस हों, सोशल मीडिया हो, कोई फैमिली फंक्शन हो या कुछ और. अनुपमा तो बिल जमा करना, मेड्स का ध्यान रखना जैसे कामों पर भी समय और एनर्जी बर्बाद नहीं करती थी. वे हंसते हुए कहती हैं कम से कम तैयारी के दौरान इन कामों को आउटसोर्स कर दें यानी किसी और को सौंप दें. अपना ध्यान सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई पर लगाएं. बस इस बात को दिमाग में बैठा लें कि आप जैसे बहुत हैं जो यही सब फेस कर रहे हैं. इससे घबराना नहीं है बल्कि विजेता बनकर निकलना है.


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