कभी खेतों की मेड़ पर खेलती मासूम बच्ची, कभी रसोई और जिम्मेदारियों में उलझी युवा महिला, और आज राजस्थान पुलिस की चमकदार वर्दी में खड़ी डीएसपी… यह कहानी है अंजू यादव की, जिन्होंने जीवन की हर चुनौती को अपने हौसले और मेहनत की सीढ़ी बना दिया. अंजू ने साबित कर दिया कि अगर हौसला हो तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती.

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हरियाणा के नारनौल जिले के छोटे से गांव धौलेड़ा में 1988 में जन्मी अंजू यादव एक किसान परिवार से आती हैं. पिता लालाराम खेती और परचून की दुकान से परिवार का भरण-पोषण करते थे, जबकि मां घर संभालती थीं. चार बेटियों के पालन-पोषण में चुनौतियां थीं, लेकिन माता-पिता ने कभी उन्हें बेटों से कमतर नहीं माना. इसी परवरिश ने अंजू को आत्मनिर्भर और मजबूत बनाया. आज यही बेटियां राजस्थान पुलिस सेवा में DSP बनकर अपने गांव और समाज के लिए प्रेरणा बन गई हैं.

जवानी में जिम्मेदारियां और मां बनने की चुनौती21 साल की उम्र में शादी और 24 साल में मां बनने के बाद अंजू की जिंदगी में जिम्मेदारियों का पहाड़ टूट पड़ा. पति के परिवार से सपोर्ट न मिलने पर उन्होंने अपने मायके लौटकर बेटे मुकुलदीप की परवरिश संभाली. यह वह दौर था जब आम लोग अपने सपनों को त्याग देते हैं, लेकिन अंजू ने हार मानने की बजाय खुद को साबित करने की ठानी.

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सरकारी स्कूल से मेहनत की शुरुआतगांव के सरकारी स्कूल से 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद अंजू ने डिस्टेंस मोड से ग्रेजुएशन पूरा किया. महंगी कोचिंग या बड़े स्कूल का सहारा नहीं था, केवल हौसला और लगन ही उनके साथ थी. उन्होंने शिक्षक के रूप में करियर शुरू किया और अपनी मेहनत से तीन बार सरकारी टीचर की नौकरी हासिल की.

2016 में अंजू मध्यप्रदेश के भिंड में जवाहर नवोदय विद्यालय में पढ़ाने लगीं. इसके बाद राजस्थान और दिल्ली के सरकारी स्कूलों में भी उन्होंने बच्चों को शिक्षा दी. दिल्ली में करीब पांच साल तक नौकरी करने के दौरान उन्होंने बेटे की परवरिश और बच्चों की पढ़ाई दोनों जिम्मेदारियों को साथ निभाया.

जिंदगी का सबसे कठिन मोड़2021 में पति नित्यानंद का बीमारी के कारण निधन हो गया. अकेले बेटे और बढ़ती जिम्मेदारियों के बीच यह समय अंजू के लिए बेहद कठिन था. लेकिन इस दुख ने उन्हें कमजोर नहीं किया; बल्कि उन्होंने इसे अपनी ताकत बनाया. उसी साल उन्होंने राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) की परीक्षा का फॉर्म भरा और लगातार मेहनत करते रही.

मेहनत का फललगातार प्रयास और समर्पण के बाद 2023 में परिणाम आया. विधवा कोटे से अंजू ने 1725वीं रैंक हासिल की. यह उनकी मेहनत और हिम्मत का नतीजा था, जिसने दिखा दिया कि परिस्थिति चाहे जैसी भी हो, अगर प्रयास सच्चे हों तो सफलता निश्चित है.

सितंबर 2025 में DSP बनी अंजूकड़ी मेहनत, संघर्ष और अनगिनत चुनौतियों को पार कर आखिरकार सितंबर 2025 में अंजू यादव ने राजस्थान पुलिस सेवा में DSP के रूप में शपथ ली. वर्दी पहनकर उन्होंने साबित कर दिया कि असली जीत वही है, जो हालात से लड़कर हासिल की जाए. आज अंजू न केवल अपने बेटे की प्रेरणा हैं, बल्कि हर उस महिला के लिए मिसाल हैं, जो मुश्किलों के बीच भी अपने सपनों को पूरा करना चाहती है.

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