सरकार ने बड़ी उम्मीद के साथ प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना शुरू की थी इस योजना का मकसद था युवाओं को उद्योगों और कंपनियों से जोड़कर रोजगार से पहले ही एक प्रैक्टिकल प्लेटफॉर्म देना योजना का लक्ष्य था कि पहले साल 1.25 लाख छात्र इंटर्नशिप पूरी करें लेकिन नतीजा इसके बिल्कुल उलट आया आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ 2066 उम्मीदवार ही इंटर्नशिप पूरी कर सके, यानी यह योजना पूरी तरह फ्लॉप हो गयी है .

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क्यों फेल हुई योजना? क्या रही बड़ी वजहें

1. इंटर्नशिप लोकेशन की दिक्कत

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ज़्यादातर कंपनियों के ऑफिस बड़े शहरों में थे  छोटे शहरों और गांवों में रहने वाले छात्रों के लिए वहां जाना मुश्किल था ट्रांसपोर्ट, रेंट और अन्य खर्चे उठाना कई छात्रों के लिए नामुमकिन था यही वजह रही कि बड़ी संख्या में छात्र ऑफर मिलने के बाद भी इंटर्नशिप जॉइन नहीं कर पाये.

2- स्टाइपेंड कम, खर्च ज्यादा

कई छात्रों ने बताया कि इंटर्नशिप के दौरान मिलने वाला स्टाइपेंड उनके खर्चों के मुकाबले काफी कम था जैसे  यात्रा और रहने का खर्च स्टाइपेंड से कहीं ज्यादा होने के कारण छात्रों ने बीच में ही इंटर्नशिप छोड़ दी.

3- कंपनियों के सहयोग की कमी भी रही कारण 

कई पार्टनर कंपनियों ने समय पर ट्रेनिंग नहीं दी न ही छात्रों को स्पष्ट टास्क दिए रिपोर्ट में सामने आया कि लगभग 4565 छात्रों ने ऑफर स्वीकारने के बाद बीच में ही इंटर्नशिप छोड़ दी यह इसलिए हुआ क्योंकि कंपनियों की ओर से मार्गदर्शन और मॉनिटरिंग की कमी रही कुछ छात्रों ने शिकायत की कि उन्हें सिर्फ डेटा एंट्री जैसे बुनियादी काम दिए गए, जिससे स्किल डेवलपमेंट का मौका नही दिया गया जिससे योजना के प्रति भरोसा कम हुआ.

4 -इंटर्नशिप की अबधि भी रही कारण एक साल की लम्बी इंटर्नशिप के कारण छात्र एग्जाम, कॉलेज और दूसरी तैयारी को लेकर कन्फ्यूज रहे जो छात्र UPSC,SSC,या स्टेट एग्जाम की तैयारी कर रहे थे, वे इतनी लंबी अवधि की इंटर्नशिप में समय नहीं दे पा  रहे थे जिसके कारण उनको इंटर्नशिप बीच में ही छोडनी पड़ी. यह भी पढ़ें - दिसंबर में कितने दिन बंद रहेंगे आपके शहर के स्कूल? एक क्लिक में चेक कर लें पूरी लिस्ट


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