संसद की एक स्थायी समिति ने सरकार की इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस (IoE) योजना के दायरे को बढ़ाकर दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) को भी इसमें शामिल करने की सिफारिश की है. यह सुझाव शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल पर गठित संसदीय समिति ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए उच्च शिक्षा विभाग की अनुदान मांगों पर अपनी रिपोर्ट में दिया.

क्या है IoE योजना?

सरकार ने 2017 में इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस (IoE) योजना की शुरुआत की थी, जिसके जरिए भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों को वैश्विक रैंकिंग में शामिल करना और उन्हें ज्यादा आजादी दी जाती है. इस योजना के तहत सरकारी विश्वविद्यालयों को ₹1,000 करोड़ तक की वित्तीय सहायता भी दी जाती है, जिससे वे अपने विश्वविद्यालयों में रिसर्च की क्षमताओं और बुनियादी ढांचे को सुधार सकें.

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JNU को क्यों चाहिए IoE टैग?

JNU की कुलपति प्रोफेसर धूलिपुडी पंडित ने पिछले साल विश्वविद्यालय की वित्तीय चुनौतियों को लेकर चिंता जताई थी. उन्होंने कहा था कि "हम लंबे समय से 'एमिनेंस' टैग की मांग कर रहे हैं. अगर हमें यह टैग मिल जाता है, तो हमें ₹1,000 करोड़ की वित्तीय मदद मिलेगी, जिससे विश्वविद्यालय की आर्थिक तंगी काफी हद तक कम हो जाएगी."

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अब तक कितने संस्थानों को मिला IoE टैग?

अब तक सिर्फ आठ सार्वजनिक संस्थानों को यह प्रतिष्ठित टैग दिया गया है. संसदीय समिति ने न केवल JNU को इस सूची में शामिल करने की सिफारिश की, बल्कि यह भी सुझाव दिया कि जिन विश्वविद्यालयों को पहले ही IoE टैग मिल चुका है, उनके अंतर्गत कॉलेजों को भी ज्यादा आज़ादी दी जानी चाहिए. दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) जैसे संस्थानों को इसका फायदा मिलने की उम्मीद है. अगर JNU को IoE टैग मिलता है, तो उसे न केवल आर्थिक मदद मिलेगी , बल्कि विश्वविद्यालय को पाठ्यक्रम और प्रशासनिक निर्णयों में भी ज्यादा स्वतंत्रता मिल पाएगी.

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