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Calculate Education Loan EMINIOS D.El.Ed को त्रिपुरा शिक्षक भर्ती बोर्ड ने भी दी मान्यता, पढ़ें डिटेल्स
एबीपी न्यूज़ | 25 Apr 2020 02:19 PM (IST)
त्रिपुरा शिक्षक भर्ती बोर्ड ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग से प्राप्त DElEd की डिग्री कोमान्यता प्रदान कर दी है.
प्रतीकात्मक फोटो
NIOS D.El.Ed Degree is Valid: त्रिपुरा शिक्षक भर्ती बोर्ड ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) से प्राप्त डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) को मान्यता प्रदान कर दी है. इससे उन अभ्यार्थियों के लिए शिक्षक के पदों पर भर्ती के लिए रास्ता साफ हो गया जो NIOS से D.El.Ed का डिप्लोमा प्राप्त किये है. अर्थात अब वे उम्मीदवार जिन्होंने एनआईओएस से D.El.Ed का डिप्लोमा प्राप्त किये है वे भी शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने के पात्र होंगें. त्रिपुरा शिक्षक भर्ती बोर्ड ने NIOS D.El.Ed के डिप्लोमा को मान्यता प्राप्त करने संबंधी निर्णय त्रिपुरा हाईकोर्ट के फैसले के मद्देनजर लिया है. बोर्ड ने कहा कि इससे संबंधित जरुरी कदम लॉक डाउन के समाप्त होने के बाद उठाये जायेंगें. विदित हो कि NIOS D.El.Ed का डिप्लोमा उन अभ्यर्थियों को दिया गया था. जिन्होंने अप्रशिक्षित शिक्षकों के लिए रखी गई उन शर्तों को पूरा करते हैं जो एनआईओएस के ट्रेनिंग प्रोग्राम को पूरा करते हैं. हालाँकि कुछ राज्यों ने इस डिप्लोमा को अवैध करार दते हुए इसे अस्वीकार कर दिया है. आपको यह भी बतादें कि वर्ष 2019 में बिहार राज्य सरकार ने NIOS D.El.Ed धारकों को शिक्षक भर्ती के लिए अयोग्य करार दे दिया था. 18 महींने के डीएलएड कार्यक्रम को उन लाखों शिक्षकों के लिए आयोजित किया गया था जो कि अप्रशिक्षित शिक्षकों के रूप में शिक्षा के अधिकार के तहत कार्यरत थे. तथा इनकी नौकरी जाने का खतरा उत्पन्न हो गया था. वर्ष 2017 में करीब 13-14 लाख शिक्षकों को NIOS ने डीएलएड का कोर्स करवाया था. इसके लिए संसद में कानून पारित कर विशेष रूप से मंजूरी ली गई थी. यह कोर्स करने के बाद बिहार राज्य के निजी स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों ने सरकारी स्कूलों में शिक्षक के पदों पर भर्ती के लिए जब आवेदन किया तो बिहार सरकार ने एनसीटीई से यह राय मांगी कि क्या ये शिक्षक भर्ती के लिए पात्र हैं. तो इसके जबाब में एनसीटीई ने 18 महीने के डीएलएड कार्यक्रम को अवैध करार देते कहा कि यह शिक्षक भर्ती के लिए आवश्यक अवधि से 6 महीने कम है. हालाँकि बाद में पटना हाईकोर्ट ने जनवरी 2020 में अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला सुनाया.