NIOS यानी राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान उन लाखों बच्चों के लिए बड़ा सहारा है जो किसी कारण से रेगुलर स्कूल नहीं जा पाते, और यही वजह है कि हर साल 1 लाख से ज्यादा छात्र इस बोर्ड से 10वीं पास करते हैं.
NIOS की सबसे खास बात इसका लचीलापन है. छात्र अपनी सुविधा के हिसाब से पढ़ते हैं, घर पर किताबें मिल जाती हैं और साल में दो बार परीक्षा आयोजित होती है. यही नहीं, जरूरत पड़ने पर ऑन-डिमांड यानी कभी भी परीक्षा देने का विकल्प भी दिया जाता है, इसलिए इसे देश के सबसे सुविधाजनक बोर्डों में से एक माना जाता है.
NIOS का अनुभव छात्रों के लिए काफी अच्छा माना जाता है क्योंकि यहाँ किसी तरह का दबाव नहीं होता, न स्कूल जाने की मजबूरी होती है और न ही भारी-भरकम फीस का बोझ. यही कारण है कि खिलाड़ी, कलाकार, ग्रामीण इलाकों के बच्चे, कामकाजी युवा और स्वास्थ्य कारणों से रेगुलर स्कूल में उपस्थित न हो पाने वाले छात्र बड़ी संख्या में NIOS चुनते हैं.
कितने मार्क्स पर पास
NIOS का सर्टिफिकेट पूरी तरह मान्य है और अन्य बोर्ड के बराबर माना जाता है. नौकरी, कॉलेज एडमिशन, प्राइवेट जॉब हर जगह इसे स्वीकार किया जाता है, इसलिए लाखों बच्चे इसे एक सुरक्षित और भरोसेमंद विकल्प मानते हैं. परीक्षा पैटर्न की बात करें तो यहां थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों में न्यूनतम 33% अंक जरूरी होते हैं. प्रश्नपत्र सरल भाषा में होते हैं और पढ़ने-समझने में आसान माने जाते हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े?
हर साल NIOS के 10वीं के परीक्षा परिणाम की चर्चा खूब होती है क्योंकि यह बड़े पैमाने पर बच्चों के भविष्य से जुड़ा होता है. औसतन पास प्रतिशत 55% से 65% के बीच रहता है, यानी हर 10 में से लगभग 6 छात्र सफल होते हैं. 2025 के अप्रैल सत्र का परिणाम उदाहरण है जिसमें 1,02,495 छात्रों में से 56,350 छात्र पास हुए और पास प्रतिशत लगभग 62.72% रहा.
इसके अलावा 2023 के अक्टूबर परीक्षा में पास प्रतिशत लगभग 54.91% दर्ज किया गया था. यह आंकड़े बताते हैं कि NIOS का रिजल्ट साल-दर-साल लगभग स्थिर रहता है और इसमें बड़े उतार-चढ़ाव नहीं आते, जिससे बच्चों और अभिभावकों को तैयारी का अंदाजा लगाना आसान हो जाता है.
2025 में कितने स्टूडेंट्स पास
NIOS के रिजल्ट में एक और रोचक पैटर्न दिखता है लड़कियां लगातार लड़कों से बेहतर प्रदर्शन करती हैं. 2025 के आंकड़ों में लड़कियों का पास प्रतिशत 63.32% रहा, जबकि लड़कों का 62.31%. यह अंतर भले ही छोटा लगे, लेकिन यह साबित करता है कि लड़कियां NIOS की पढ़ाई को ज्यादा गंभीरता से लेती हैं और उनका प्रदर्शन स्थिर रहता है. कई बार ऐसा भी देखा गया है कि लड़कियों की उपस्थिति भले कम हो, लेकिन उनका पास प्रतिशत हमेशा अधिक रहता है.
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