Success Story of IAS: मेधावी छात्र ही आईएएस, पीसीएस अधिकारी बनते हैं जो छात्र साधारण या पढ़ाई में कमजोर होते हैं यूपीएससी की परीक्षा पास नहीं कर पाते लेकिन इस धारणा को झुठलाया है आईएएस अधिकारी कुमार अनुराग (Kumar Anurag) ने. कुमार अनुराग की सफलता ने उन लोगों को भी रास्ता दिखाया है जो पढ़ाई में साधारण या कमजोर होते हैं. अनुराग ने साबित किया है कि यदि यूपीएससी (UPSC) की तैयारी के लिए कड़ी मेहनत करेंगे तो भी सफलता प्राप्त कर सकते हैं. अनुराग ग्रेजुएशन (Graduation) में फेल हो गए थे, लेकिन इस असफलता से वह घबराए नहीं उन्हें इस असफलता के बाद आईएएस बनने की ठानी. अनुराग ने लगन और कड़ी मेहनत से लगातार दो बार यूपीएससी की परीक्षा पास की. वर्ष 2017 में उन्हें 677 रैंक मिली थी, जिससे वह आईएएस अधिकारी नहीं बन सकते थे.लिहाज उन्होंने वर्ष 2018 में परीक्षा दी और 48वीं रैंक हासिल कर आईएएस अधिकारी (IAS Officer) बने और उन्हें बिहार कैडर (Bihar Cadre) मिला है. बिहार के कटिहार जिले (Katihar District) के रहने वाले अनुराग ने कक्षा-8 तक की पढ़ाई हिंदी मीडियम (Hindi Medium) से की थी. जिसके बाद उन्हें परिवार के लोगों ने अंग्रेजी मीडियम में दाखिला दिला दिया. इस दौरान उन्हें बहुत परेशानियां आईं. अनुराग ने बताया कि वह शुरू से साधरण छात्र थे.यदि वह मन में कुछ करने की ठान लेते तो उसे पूरा करके ही दम लेते थे. इन्होंने अपनी दसवीं की पढ़ाई के लिए खूब मेहनत की और अच्छे अंक हासिल किए. वह 12वीं कक्षा में प्री बोर्ड के एग्जाम में मैथ में फेल हो गए. जिसके बाद उन्होंने फिर उत्साह से तैयारी की और काफी अच्छे अंक प्राप्त किए. इसके बाद उन्हें दिल्ली के एक अच्छे कॉलेज (College) में दाखिला मिल गया. लगन से की तैयारीछोटे शहर से देश की राजधानी की चकाचौंध में आए अनुराग का मन पढ़ाई में बिल्कुल भी नहीं लगा.वह मौज मस्ती करने में मस्त हो गए. परिणाम स्वरूप वह ग्रेजुएशन में कई सब्जेक्ट में फेल हो गए. इसके बाद जब परिवार के लोगों से कड़ी फटकार पड़ी तब उन्होंने किसी तरह ग्रेजुएशन की और पोस्ट ग्रेजुएशन में दाखिला ले लिया. अपने स्वभाव की अनुरूप कुमार अनुराग ने एक बार फिर अपना गियर बदला.पोस्ट ग्रेजुएशन के दौरान उन्होंने यूपीएससी परीक्षा के लिए तैयारी करने की ठानी. जब उनकी पीजी की पढ़ाई पूरी हुई, उसी समय वह पूरी लगन और मेहनत के साथ यूपीएससी की तैयारी करने में जुट गए. ये है कहनाअनुराग कहते हैं कि, उन्हें पता था कि उनमें कमी है और सफल वही होता है, जो अपनी कमियों को स्वीकार कर खुद को सुधारने की कोशिश करता है. अनुराग ने भी यही किया.उन्होंने लगन और कड़ी मेहनत से पढ़ाई की. नोट्स बनाकर परीक्षा के हर पहलू को ठीक से समझा.नतीजतन उनका आईएएस अधिकारी बनने का सपना साकार हुआ और उन्हें बिहार कैडर मिला है.
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