देश की न्याय व्यवस्था को बनाए रखने के लिए एक तय रैंकिंग या हायरार्की होती है. इस हायरार्की के टॉप पर होते हैं मुख्य न्यायाधीश, जिनके पास अदालत के प्रशासन और बेंच के गठन से जुड़े सबसे अहम अधिकार होते हैं. लेकिन उनके नीचे भी कई जज होते हैं, आइए जानते हैं डिटेल्स...

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सुप्रीम कोर्ट में जजों की सीनियरिटी उनके नियुक्ति की तारीख से तय होती है. यानी जो जज पहले नियुक्त हुए, उन्हें सीनियर माना जाता है. अगर दो जजों की नियुक्ति एक ही दिन हुई हो, तो उनकी हाई कोर्ट में जज के रूप में सेवा की तारीख को देखकर वरिष्ठता तय की जाती है. सबसे सीनियर जज के बाद आते हैं और सबसे आखिर में रहते हैं सबसे जूनियर जज, जिन्हें हाल ही में नियुक्त किया गया होता है. समय के साथ जब पुराने जज रिटायर होते हैं, तो बाकी जजों की सीनियरिटी बढ़ती जाती है.

क्या होता है CJI का रोल?

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CJI न केवल सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख होते हैं, बल्कि पूरे न्याय तंत्र के मुखिया भी माने जाते हैं. वे तय करते हैं कि कौन-सा केस किस बेंच में जाएगा, किन जजों को कौन-से मामलों की सुनवाई दी जाएगी और कई प्रशासनिक फैसले भी उन्हीं के हाथ में होते हैं.

कैसे है हायरार्की?

रिपोर्ट्स के अनुसार सबसे ऊपर सुप्रीम कोर्ट होता है. इसके बाद हाई कोर्ट आता है. फिर सब ऑर्डिनटस कोर्ट्स होते हैं. इन सभी के बाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट सिविल और सेशन कोर्ट (क्रिमिनल) आते हैं. अगर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट सिविल की बात करें तो यहां डिस्ट्रिक्ट जज, एडिशनल या असिस्टेंट जज और फिर सिविल जज होते हैं. वहीं, सेशन कोर्ट (क्रिमिनल) में सेशन जज,  एडिशनल सेशन जज और चीफ जुडिशल मजिस्ट्रेट होते हैं.

जज बनने की प्रक्रिया कैसी होती है?

सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति कोलेजियम सिस्टम के तहत होती है. इसमें CJI और चार सीनियर जज मिलकर तय करते हैं कि किसे सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया जाए. राष्ट्रपति इस सिफारिश को मंजूरी देते हैं, तब जाकर नियुक्ति होती है.

कब होता है जज का रिटायरमेंट?

सुप्रीम कोर्ट के जज 65 वर्ष की आयु में रिटायर होते हैं. रिटायरमेंट के बाद भी कई जज आयोगों या ट्रिब्यूनल्स में अपनी सेवाएं देते हैं.

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