दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में हाल ही में एक अलग ही माहौल देखने को मिला. यहां मशहूर शायर और गीतकार जावेद अख्तर और इस्लामिक स्कॉलर मुफ्ती शमाइल नदवी के बीच ईश्वर के अस्तित्व को लेकर एक अकादमिक चर्चा आयोजित की गई. इस चर्चा में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे और देखते ही देखते यह बहस हॉल की दीवारों से निकलकर सोशल मीडिया तक फैल गई. आस्था, तर्क, धर्म और नैतिकता जैसे मुद्दों पर हुई इस चर्चा ने देशभर में लोगों का ध्यान खींच लिया.
इस बहस का मुख्य सवाल था क्या ईश्वर का अस्तित्व है? जावेद अख्तर जहां तर्क और वैज्ञानिक सोच के आधार पर अपनी बात रख रहे थे, वहीं मुफ्ती शमाइल नदवी धार्मिक ग्रंथों और दर्शन के जरिए अपने तर्क पेश कर रहे थे. मुफ्ती शमाइल ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि जब एक छोटी सी घड़ी भी बिना बनाने वाले के नहीं बन सकती, तो इतनी विशाल और जटिल दुनिया बिना किसी रचयिता के कैसे बन सकती है. इस तर्क ने चर्चा को और गहरा बना दिया.
कौन हैं मुफ्ती शमाइल नदवी?
इस बहस के बाद सबसे ज्यादा चर्चा मुफ्ती शमाइल नदवी को लेकर होने लगी. लोग जानना चाहते थे कि आखिर यह युवा मौलाना कौन हैं, जो इतने आत्मविश्वास के साथ ईश्वर जैसे विषय पर खुलकर अपनी बात रख रहे हैं.
मुफ्ती शमाइल नदवी एक इस्लामिक स्कॉलर, धर्मगुरु और वक्ता हैं. वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं. उनका जन्म एक धार्मिक परिवार में हुआ, जहां बचपन से ही उन्हें धार्मिक शिक्षा और संस्कार मिले. बचपन से ही उनका झुकाव धर्म, दर्शन और अध्ययन की ओर रहा.
कहां से ली है शिक्षा?
मुफ्ती शमाइल नदवी ने अपनी प्रारंभिक और उच्च इस्लामी शिक्षा देश के प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान दारुल उलूम नदवतुल उलेमा, लखनऊ से प्राप्त की है. यह संस्था भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में इस्लामी शिक्षा के लिए जानी जाती है. यहां से शिक्षा पूरी करने वाले छात्रों के नाम के साथ “नदवी” लगाया जाता है. उन्होंने कुरान, हदीस, फिक़्ह यानी इस्लामी कानून और इस्लामी दर्शन का गहन अध्ययन किया है. उनकी पढ़ाई का असर उनके भाषणों और तर्कों में साफ नजर आता है, जहां वे धार्मिक बातों को सरल और समझने वाली भाषा में रखते हैं.
पहले भी रह चुके हैं सुर्खियों में
यह पहली बार नहीं है जब मुफ्ती शमाइल नदवी चर्चा में आए हों. इससे पहले भी वे आधुनिक समाज, धर्म और आस्था के टकराव जैसे मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखने के कारण सुर्खियों में रहे हैं. उनके विचारों से सहमत होने वाले भी हैं और असहमत होने वाले भी, लेकिन यह तय है कि वह लोगों को सोचने पर मजबूर जरूर करते हैं. यह भी पढ़ें - नीति आयोग की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा! ये देश बने भारतीय स्टूडेंट्स की खास पसंद; भारत में भी इन देशों से आए छात्र
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