हरियाणा के हिसार की गलियों से निकलकर देश की सबसे ऊंची न्यायिक कुर्सी तक पहुंचने वाले जस्टिस सूर्यकांत की कहानी मेहनत, संघर्ष और ईमानदारी का ऐसा उदाहरण है, जो हर उस युवा के लिए प्रेरणा बन सकती है जो बड़े सपने देखता है. जस्टिस सूर्यकांत भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ले सकते हैं.

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फिलहाल जस्टिस बी.आर. गवई यह जिम्मेदारी संभाल रहे हैं और उनके रिटायरमेंट के बाद जस्टिस सूर्यकांत को देश की न्यायपालिका की बागडोर सौंपी जा सकती है. जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार में हुआ था. बचपन से ही पढ़ाई में तेज और अनुशासित रहने वाले जस्टिस सूर्यकांत ने 1981 में हिसार के गवर्नमेंट पीजी कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. इसके बाद उन्होंने 1984 में महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी, रोहतक से एलएलबी (कानून की पढ़ाई) की डिग्री हासिल की.

यहां से की मास्टर्स

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कानून की दुनिया में रुकने का नाम नहीं लेने वाले जस्टिस सूर्यकांत ने अपनी शिक्षा जारी रखी और 2011 में कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से कानून में मास्टर डिग्री (एमएलएल) फर्स्ट क्लास फर्स्ट रैंक के साथ पास की.

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वकालत की शुरुआत से लेकर बड़े मुकाम तक

रिपोर्ट्स के अनुसार साल 1984 में उन्होंने हिसार की जिला अदालत से वकालत की शुरुआत की. जल्द ही उनकी योग्यता और मेहनत ने उन्हें पहचान दिलाई और 1985 में वे चंडीगढ़ चले गए, जहां उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की. उन्होंने कई विश्वविद्यालयों, बोर्डों और सरकारी बैंकों के लिए कानूनी सलाहकार के रूप में भी काम किया.

न्यायपालिका में शानदार करियर

साल 2000 में उन्हें पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का एडवोकेट जनरल नियुक्त किया गया. चार साल बाद 2004 में वे हाईकोर्ट के जज बन गए. इसके बाद वे हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने. 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया. यहां भी उन्होंने कई अहम मामलों की सुनवाई की और न्याय के नए मानक तय किए.

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