भारत सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इस आयोग का काम देश के सरकारी कर्मचारियों, पेंशनर्स और रक्षा कर्मियों के वेतन एवं भत्तों में होने वाले बदलावों पर सिफारिश देना है. इस अहम जिम्मेदारी की कमान सौंपी गई है सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई को. अब देशभर में लोग यह भी जानना चाहते हैं कि आखिर वह कौन हैं, उनका अनुभव कैसा है और उनके नेतृत्व में वेतन आयोग किस दिशा में जा सकता है.

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जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई का जन्म वर्ष 1949 में मुंबई में हुआ. पढ़ाई मुंबई के एल्फिंस्टन कॉलेज से हुई और फिर उन्होंने सरकारी लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई पूरी की. दिलचस्प बात यह है कि जब उन्होंने वकालत को करियर बनाने का फैसला किया, तब परिवार इसके पक्ष में नहीं था. उनके पिता, जो खुद एक नामी वकील थे, चाहते थे कि वह लंदन जाकर अर्थशास्त्र में आगे की पढ़ाई करें. लेकिन रंजना ने कानून चुना और खुद को साबित किया.

कानून पढ़ने के बाद उन्होंने एक रिश्तेदार के चैंबर में काम शुरू किया. इसी दौरान उन्हें एक केस मिला, जिसमें उनकी मेहनत और दलीलों ने पहली जीत दिलाई और फीस मिली सिर्फ 35 रुपये. यह उनकी वकालत की पहली सफलता थी, जिसने उन्हें आगे बढ़ने का आत्मविश्वास दिया.

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कई अहम फैसले

सुप्रीम कोर्ट में रहते हुए उन्होंने कई अहम मामलों में महत्वपूर्ण निर्णय दिए. उदाहरण के तौर पर, कालाधन मामले में उन्होंने केंद्र सरकार को कड़े निर्देश दिए थे, जिससे देश में अवैध धन पर कार्रवाई तेज हुई. वहीं नित्यानंद से जुड़े विवाद में भी उनका फैसला काफी चर्चित रहा.

इतनी मिलती है पेंशन

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस को 15 लाख रुपये साल पेंशन बतौर मिलते हैं. साथ ही उन्हें कई अन्य सुविधाएं भी दी जाती हैं. इसके अलावा उन्हें 8वें पे कमीशन की कमेटी में रहते हुए कितना वेतन मिलेगा इसकी जानकारी अभी मौजूद नहीं है.

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