दिल्ली का जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) सिर्फ एक यूनिवर्सिटी नहीं, बल्कि भारत की राजनीति की नर्सरी कहा जाता है. यहां से निकलकर कई दिग्गज नेता देश की सत्ता और नीति निर्धारण तक पहुंचे हैं. इस समय जब जेएनयू छात्र संघ चुनाव 2025 के लिए मतदान चल रहा है, कैंपस एक बार फिर राजनीतिक माहौल से गरमाया हुआ है. छात्र अपने प्रतिनिधियों को चुनने के लिए उत्साहित हैं, और इसी बीच चर्चा फिर उठी है आखिर ऐसा क्या है इस यूनिवर्सिटी में, जो इसे भारत की सबसे बड़ी राजनीतिक प्रयोगशाला बना देता है?

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2025 के छात्र संघ चुनाव में कैंपस में अलग ही रौनक है. हर हॉस्टल, हर दीवार पर पोस्टर, बहसें और नारे लोकतंत्र की असली झलक यहां देखने को मिलती है. प्रचार थम चुका है, और अब बारी है छात्रों की राय को मतपेटी तक पहुंचाने की. जेएनयू का हर चुनाव केवल छात्र राजनीति का नहीं, बल्कि आने वाले वर्षों में भारत की मुख्यधारा की राजनीति को दिशा देने वाले चेहरों का चुनाव भी माना जाता है.

राजनीति के 'क्लासरूम' से निकले देश के बड़े नाम

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एस. जयशंकर - भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर, जो अपने बेबाक और रणनीतिक कूटनीतिक फैसलों के लिए जाने जाते हैं, जेएनयू के ही छात्र रहे हैं. उन्होंने राजनीति विज्ञान में एम.ए., फिर अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एम.फिल और पीएचडी की डिग्री हासिल की. उनका विषय था परमाणु कूटनीति. आज वही जयशंकर भारत की विदेश नीति के सबसे मजबूत चेहरों में गिने जाते हैं.

निर्मला सीतारमण - देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी जेएनयू की पूर्व छात्रा हैं. उन्होंने यहां से अर्थशास्त्र में एम.ए. और एम.फिल किया. आज वे न सिर्फ भारत की वित्तीय नीतियों को दिशा दे रही हैं, बल्कि वैश्विक मंचों पर भारत की आर्थिक मजबूती का चेहरा बन चुकी हैं.

कन्हैया कुमार - जेएनयू का नाम लेते ही एक और चेहरा याद आता है कन्हैया कुमार. कभी छात्र राजनीति के लोकप्रिय चेहरों में से एक रहे कन्हैया, छात्र संघ अध्यक्ष भी रहे. उन्होंने अखिल भारतीय छात्र परिषद और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के साथ काम किया. आज वे राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हैं और युवा नेताओं में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं.

सीताराम येचुरी - वामपंथी राजनीति के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने भी जेएनयू से अर्थशास्त्र में एम.ए. किया. उनकी राजनीतिक सोच और वैचारिक मजबूती की झलक जेएनयू के दिनों से ही दिखने लगी थी.

मेनका गांधी - पर्यावरण, पशु अधिकार और समाजसेवा से जुड़ी मेनका गांधी ने जेएनयू से जर्मन भाषा की पढ़ाई की. राजनीति में आने के बाद उन्होंने खुद को एक सशक्त सामाजिक चेहरा बनाया.

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