कहते हैं कि किताबें इंसान की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं. और भारत इस दोस्ती को खूब निभा रहा है. एक ताज़ा रिपोर्ट में सामने आया है कि भारत अब किताबें छापने वाले देशों की लिस्ट में 10वें नंबर पर आ गया है. हर साल भारत में लगभग 90,000 किताबें प्रकाशित की जाती हैं वो भी 24 से ज्यादा भाषाओं में! यह आंकड़ा बताता है कि भारत सिर्फ डिजिटल दुनिया में नहीं, बल्कि छपे हुए शब्दों की दुनिया में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है. इस लिस्ट में पहले नंबर पर है यूनाइटेड किंगडम (UK), जो हर साल करीब 188,000 किताबें छापता है.

कौन-कौन से देश हैं टॉप 10 में?

  • 1. यूनाइटेड किंगडम
  • 2. चीन
  • 3. अमेरिका
  • 4. रूस
  • 5. जर्मनी
  • 6. इटली
  • 7. फ्रांस
  • 8. जापान
  • 9. इरान
  • 10. भारत

भारतीय भाषाओं में भी चमक रहा है प्रकाशन

इस लिस्ट में भारत ने बड़ी छलांग लगाई है और अब वह दुनिया के उन देशों में शामिल हो चुका है जहां सबसे ज्यादा किताबें छपती हैं. भारत की सबसे खास बात यह है कि यहां किताबें सिर्फ अंग्रेजी में ही नहीं छपतीं, बल्कि हिंदी, तमिल, बांग्ला, उर्दू, गुजराती, तेलुगु जैसी 24 से अधिक भाषाओं में छपती हैं. इससे यह साबित होता है कि भारतीय पाठकों का झुकाव सिर्फ एक भाषा तक सीमित नहीं है.

यह भी पढ़ें- पंजाब में निकली 2000 PTI पदों पर भर्ती, जानिए योग्यता, उम्र सीमा और आवेदन प्रक्रिया

किताबों की दुनिया में क्यों है भारत का नाम?

  • अधिक युवाओं की आबादी: भारत में युवाओं की संख्या ज्यादा है और शिक्षा के स्तर में भी लगातार सुधार हो रहा है.
  • विविध भाषाएं: इतनी सारी भाषाएं होने से हर क्षेत्र में किताबों की मांग बनी रहती है.
  • डिजिटल टेक्नोलॉजी का सहयोग: ई-बुक्स और ऑनलाइन पब्लिशिंग ने नए लेखकों को मौका दिया है.

डिजिटल के ज़माने में भी छपी हुई किताबों का क्रेज

भले ही आज के समय में लोग मोबाइल और लैपटॉप पर पढ़ना पसंद करते हों, लेकिन छपी हुई किताबों की महत्ता अब भी बनी हुई है. भारत में हर साल होने वाले बुक फेयर और लिटरेचर फेस्टिवल इस बात का सबूत हैं कि किताबों का दीवाना अब भी भारत में खूब है.

यह भी पढ़ें- फिनलैंड में पढ़ाई का सपना? वीजा इंटरव्यू में पूछे जाएंगे ये सवाल, खाते में होना चाहिए इतना पैसा!


Education Loan Information:

Calculate Education Loan EMI