भारत में IIT से BTech की पढ़ाई करना किसी भी छात्र के लिए एक लाइफ-चेंजिंग मोमेंट होता है. छात्र JEE जैसी कठिन परीक्षा पास करने के बाद IIT जैसे भारत के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान में पहुंचते हैं. लेकिन संस्थान में पहुंचने के बाद असली चुनौतियां सामने आती हैं.
हाई क्रेडिट लोड, ज्यादा CGPA लाने का दबाव और करियर की टेंशन, ये सभी चीजें मिलकर छात्रों पर मानसिक दबाव बढ़ाती हैं. कई बार छात्र IIT जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में पढ़ाई करने के बाद भी अपने उज्ज्वल भविष्य को लेकर अनिश्चित महसूस करता है. इन्हीं समस्याओं को देखते हुए IIT मद्रास ने एक अहम फैसला लिया है, जिससे छात्रों पर पढ़ाई को लेकर बना दबाव काफी हद तक कम हो सकेगा.
अब तक क्या थी सबसे बड़ी समस्या?
अब तक सिस्टम काफी सख्त था. अगर कोई IIT छात्र चार साल की अवधि में अपना BTech कोर्स पूरा नहीं कर पाता था, चाहे उसने दो या तीन साल पढ़ाई क्यों न की हो, तो उसके पास कोई मान्य डिग्री नहीं होती थी. ऐसे छात्र को तकनीकी रूप से ड्रॉपआउट माना जाता था. यही वह बुनियादी समस्या है, जिसे IIT मद्रास ने समझा और इससे निपटने के लिए जरूरी कदम उठाए.
IIT मद्रास का बड़ा फैसला: BTech के बाद BSc का विकल्प
IIT मद्रास ने इंजीनियरिंग पढ़ रहे छात्रों के लिए एक बड़ा और अहम फैसला लिया है. अब अगर कोई छात्र किसी भी कारण से BTech की पढ़ाई चार साल में पूरी नहीं करना चाहता या नहीं कर पाता है, तो उसकी अब तक की पढ़ाई बेकार नहीं जाएगी. संस्थान ने तय किया है कि जो छात्र BTech के तीन साल पूरे कर लेते हैं, वे चाहें तो BSc की मान्य डिग्री लेकर कोर्स से बाहर निकल सकते हैं.
BSc डिग्री के लिए जरूरी शर्तें
इस नए फैसले का लाभ हर छात्र को नहीं मिलेगा. इसके लिए कुछ साफ शर्तें तय की गई हैं. BTech कोर्स में कुल 400 क्रेडिट होते हैं और छात्र को इनमें से कम से कम 250 क्रेडिट पूरे करने होंगे. साथ ही छात्र का अकादमिक रिकॉर्ड ठीक होना चाहिए. यानी उसने नियमित रूप से परीक्षाएं पास की हों, बार-बार फेल न हुआ हो और CGPA बहुत खराब न हो. अगर इन शर्तों को पूरा नहीं किया गया, तो BSc डिग्री मिलने में दिक्कत आ सकती है.
क्रेडिट सिस्टम में भी किया गया बदलाव
प्रोफेसर हरिदोस के अनुसार, IIT मद्रास ने सिर्फ डिग्री का नया विकल्प ही नहीं दिया, बल्कि पढ़ाई के पूरे सिस्टम को भी थोड़ा नरम किया है, ताकि छात्रों पर बेवजह का दबाव कम हो सके. पहले हर सेमेस्टर में छात्रों को एक तय संख्या में ज्यादा क्रेडिट पूरे करने पड़ते थे. अब संस्थान ने न्यूनतम क्रेडिट सीमा को करीब 10 प्रतिशत तक घटा दिया है.
नए नियम कब से होंगे लागू?
यह नया विकल्प 2024 में दाखिला लेने वाले छात्रों के लिए साल 2027 से लागू होगा, जब वे अपने तीन साल पूरे कर लेंगे. इसके अलावा जो छात्र पहले से BTech में पढ़ रहे हैं और सीनियर हैं, उन्हें भी यह मौका दिया जाएगा. हालांकि उनके लिए अलग शर्तें होंगी, जैसे कि उन्होंने पहले डिग्री पूरी करने का प्रयास किया हो, लेकिन किसी कारण से वे कोर्स पूरा नहीं कर पाए हों.
सेमेस्टर लोड भी हुआ कम
पहले एक छात्र को एक सेमेस्टर में करीब 66 क्रेडिट पूरे करने पड़ते थे, जिसे बहुत भारी लोड माना जाता है. अब इसे घटाकर न्यूनतम 50 क्रेडिट कर दिया गया है, ताकि छात्र कम तनाव में पढ़ाई कर सकें और विषयों को बेहतर तरीके से समझ सकें.
किन छात्रों के लिए सबसे फायदेमंद है यह फैसला?
IIT मद्रास के डीन के अनुसार, यह योजना उन छात्रों के लिए खास तौर पर फायदेमंद है, जो दबाव में या बिना रुचि के अपना कोर्स कर रहे हैं. अगर कोई छात्र MBA करना चाहता है, सिविल सर्विस की तैयारी करना चाहता है, स्टार्टअप शुरू करना चाहता है या किसी दूसरी फील्ड में जाना चाहता है, तो वह सम्मान के साथ BSc डिग्री लेकर आगे बढ़ सकता है. यह फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत लिया गया है.
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