विदेश में पढ़ाई करना भारतीय छात्रों के बीच अब एक आम सपना बन चुका है. अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में तो हर साल लाखों छात्र उच्च शिक्षा के लिए जा रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के छात्र सिर्फ इन पश्चिमी देशों में ही नहीं, बल्कि पड़ोसी मुल्कों में भी पढ़ाई करने जाते हैं? जी हां, पाकिस्तान भी उन देशों में शामिल है जहां भारतीय छात्र एडमिशन लेते हैं.
अक्सर लोग यह सोचकर हैरान रह जाते हैं कि आखिर भारतीय छात्र पाकिस्तान क्यों जाएंगे. इसकी बड़ी वजह है वहां की मेडिकल और ह्यूमैनिटीज (मानविकी) स्ट्रीम से जुड़ी यूनिवर्सिटीज. पाकिस्तान की कई यूनिवर्सिटीज ऐसे कोर्स ऑफर करती हैं जो भारत के छात्रों को किफायती और आसान लगते हैं. खासकर मेडिकल क्षेत्र में एडमिशन फीस और खर्च पश्चिमी देशों की तुलना में काफी कम है. यही कारण है कि सीमित बजट वाले कुछ भारतीय छात्र पाकिस्तान को चुन लेते हैं.
कितने भारतीय छात्र हैं पाकिस्तान में?
भारत सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, पाकिस्तान में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या अन्य पश्चिमी देशों की तुलना में बेहद कम है. अगर तुलना की जाए तो जहां अमेरिका और कनाडा में लाखों भारतीय पढ़ाई कर रहे हैं, वहीं पाकिस्तान में यह संख्या हर साल गिनती की होती है. उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान में हर साल कुछ सौ से भी कम भारतीय छात्र एडमिशन लेते हैं. यह आंकड़ा अक्सर 100-200 के बीच रहता है.
पाकिस्तान में कौन-से कोर्स पॉपुलर हैं?
पाकिस्तान में भारतीय छात्रों के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रियता मेडिकल कोर्सेज की है. वहां के मेडिकल कॉलेज और यूनिवर्सिटीज एमबीबीएस, बीडीएस और फार्मेसी जैसे कोर्स ऑफर करते हैं, जिनमें भारतीय छात्र एडमिशन लेते हैं. इसके अलावा कुछ छात्र ह्यूमैनिटीज, इस्लामिक स्टडीज और लैंग्वेज से जुड़े विषयों में भी दाखिला लेते हैं. हालांकि तकनीकी और इंजीनियरिंग कोर्स के लिए भारतीय छात्र आमतौर पर पश्चिमी मुल्कों या भारत की ही संस्थाओं को प्राथमिकता देते हैं.
चुनौतियां भी कम नहीं
हालांकि पाकिस्तान में पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. सबसे बड़ी समस्या है वीजा और सुरक्षा की. पाकिस्तान जाने के लिए भारतीय छात्रों को विशेष अनुमति लेनी होती है, जो हर किसी के लिए आसान नहीं होती. इसके अलावा वहां का माहौल और रिश्तों की संवेदनशीलता भी छात्रों के लिए अतिरिक्त दबाव बनाती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2024 में दुनियाभर में करीब 13 लाख छात्र भारत से हैं. जिनमें करीब 13 स्टूडेंट्स पाकिस्तान पढ़ाई के लिए गए हैं.
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