Pakistan School Education System: किसी भी देश का एजुकेशन सिस्टम उसकी उन्नति का आधार होता है. जहां जितनी अच्छी और जिस तरह से पढ़ाई होती है उससे ही वहां के बच्चों का भविष्य तय होता है और किसी भी देश के बच्चे ही उस देश का फ्यूचर होते हैं. कुल मिलाकर पढ़ाई के महत्व के बारे में जितना कहा जाए कम है. भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान की शिक्षा सिस्टम की तुलना अगर यहां से की जाए तो पाकिस्तान की तुलना में इंडिया ने बहुत तरक्की कर ली है. ऐसे में आपके मन में भी ये सवाल उठता होगा कि पाकिस्तान और भारत के एजुकेशन सिस्टम में क्या अंतर है और पड़ोसी मुल्क में पढ़ाई किस प्रकार होती है. जानते हैं इस सवाल का जवाब.

काफी अंतर है एजुकेशन में

भारत और पाकिस्तान के एजुकेशन सिस्टम में काफी अंतर है. वहां के एजुकेशन सिस्टम की वजह से ही वहां के बच्चे इंडिया के बच्चों से काफी पीछे हैं. वहां की पढ़ाई यहां से बहुत अलग होती है. हालांकि कुछ चीजों में समानता भी है. जैसे पाकिस्तान में 6 लेवल पर पढ़ाई करायी जाती है. इसमें प्री स्कूल, प्राइमरी, मिडिल, हाईस्कूल, इंटरमीडिएट और यूनिवर्सिटी की पढ़ाई शामिल है.

प्री प्राइमरी का नहीं है चलन

इंडिया की तुलना में पाकिस्तान में प्री प्राइमरी का चलन बहुत कम है. बदलते वक्त के साथ वहां प्री प्राइमरी एजुकेशन इंट्रोड्यूज हुई है लेकिन यहां की तुलना में इस पर कम जोर दिया जाता है. कुछ दिनों बाद क्लास बढ़ने पर लड़के और लड़कियों को अलग-अलग पढ़ाया जाता है.

इस लेवल पर हो जाती है क्लास सेपरेट

पाकिस्तान में लड़के और लड़कियों की पढ़ाई के लिए अलग-अलग व्यवस्था होती है. मिडिल क्लास के बाद सिंग्ल सेक्स एजुकेशन पर जोर दिया जाता है. इसका मतलब ये है कि मिडिल स्कूल के बाद लड़के और लड़कियां अलग-अलग स्कूलों में पढ़ते हैं. उन्हें एक साथ नहीं पढ़ाया जाता है.

ये विषय मुख्य होते हैं

प्राइमरी के बाद मिडिल स्कूल की पढ़ाई होती है. मिडिल स्कूल यानी क्लास 6 से लेकर 8 तक. इसके बाद अगला स्टेप आता है यानी ग्रेड 9 से 12. यहां मुख्य तौर पर जो विषय पढ़ाए जाते हैं, वे हैं – उर्दू, इंग्लिश, मैथ्स, आर्ट्स, साइंस, सोशल स्टडीज और इस्लामिक स्टडीज. 

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