यदि आप क्लास 12वीं के बाद इतिहास में करियर बनाना चाहते हैं, तो आपको पहले 12वीं कक्षा में इतिहास की पढ़ाई करनी होगी और मान्यता प्राप्त बोर्ड से इतिहास में कम से कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ पास होना होगा. उसके बाद अभ्यर्थियों को तीन साल के ग्रेजुएशन में एडमिशन मिलेगा, ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद पीजी और फिर पीएचडी पूरी कर के वे एक इतिहास प्रोफेसर बन सकते हैं.


इतिहास को तीन प्रमुख भागों में विभाजित किया जा सकता है जैसे पुरातत्व, संग्रहालय और अभिलेखीय अध्ययन. इतिहास में डिग्री होने के बाद अभ्यर्थी इन क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं. स्नातकोत्तर स्तर पर इनमें से अधिकांश पाठ्यक्रमों को राष्ट्रव्यापी रूप से पेश किया जा सकता है. इसलिए एक इतिहास की डिग्री, मास्टर्स स्तर पर कई करियर के दरवाजे खोल सकती है. (इंडोलॉजी) भारत विद्या के फील्ड में अभ्यर्थियों के लिए बहुत अच्छी संभावनाएं हैं इसकी कई वजहें हैं एक तो यह कि यह बहुविषयक क्षेत्र है और इस वजह से इस क्षेत्र में विशेषज्ञता बहुत कम अभ्यर्थी ही हासिल कर पाते हैं. लेकिन जो लोग हासिल करते हैं, उन्हें इस क्षेत्र में अच्छे करियर बनाने की संभावनाएं रहती हैं.


एक इंडोलॉजिस्ट को 4 से 5 भाषाओं की जानकारी होती है जैसे हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत के अलावा वह पाली, तमिल और उर्दू भी वे जानते है, दरअसल बिना 4 भाषाएं जानें भारतीय उपमहाद्वीप को समझा ही नहीं जा सकता. इंडोलॉजिस्ट एक्सपर्ट की तमाम क्षेत्रों में काफी मांग होती है जैसे साहित्यिक संस्थानों, धर्म विद्या संस्थानों के साथ-साथ सांस्कृतिक संस्थानों. हिस्ट्री क्षेत्र की विशेषयज्ञ डॉ. शगुफ्ता परवीन ने बताया कि भारतीय संस्कृति और समाज की प्रकृति की गतिशीलता को समझने में सबसे ज्यादा मदद इंडोलॉजिस्टों ही करते हैं. इसलिए अगर कहा जाए कि देश के विभिन्न इतिहास अध्ययन संस्थानों और राजनीति विज्ञान पढ़ने, पढ़ाने वाले संस्थानों में भी इनकी जरूरत है. तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.


इस क्षेत्र में शुरू से ही अभ्यार्थियों को अच्छे पैसे मिलते हैं, क्योंकि शुरू से ही वे वह काम कर रहे होते हैं, जो अंतिम रूप से किसी विशेषज्ञ को करना होता है, इसलिए एक इंडोलॉजिस्ट की शुरुआती नौकरी का वेतन 50-60 हजार रुपये महीने से कम की नहीं होता और जैसे-जैसे अभ्यर्थियों का इस क्षेत्र में अनुभव बढ़ता है, वेतन भी आकर्षक होता है.


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