दिल्ली मंत्रिमंडल ने 2 मार्च को एक अहम फैसला लेते हुए घोषणा की है कि डीयू के कॉलेज ऑफ आर्ट को अम्बेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली के साथ मर्ज किया जायेगा. अभी इस कॉलेज का संचालन दिल्ली सरकार कर रही है. वहीं दिल्ली मंत्रिमंडल ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ आर्ट्स के मर्जर को मंजूरी दे दी है. वहीं दिल्ली सरकार के मुताबिक दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ हेरिटेज रिसर्च एंड मैनेजमेंट और कॉलेज ऑफ आर्ट दोनों मिलकर डॉ. भीम रॉव अंबेडकर विश्वविद्यालय का हिस्सा होंगे.
साल 2009 में अलग हुआ था DTU:
साल 2009 में दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग को इसी तरह से डीयू से हटा दिया गया था और उसने एक अलग विश्वविद्यालय बनाया जिसे दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी कहा जाता है. इतना ही नहीं इसी तरह साल 2019 में नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी को भी दिल्ली सरकार ने नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के रूप में बदल दिया था. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब दिल्ली सराकार ने ऐसा फैसला किया है. वहीं डीयू रजिस्ट्रार विकास गुप्ता का कहना है कि डीयू के साथ कॉलेज ऑफ आर्ट के डी संबद्धता पर कोई निर्णय अभी तक नहीं लिया गया है.
दिल्ली सरकार के फैसले का विरोध
दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट का संचालन पूरी तरह से दिल्ली सरकार कर रही है. इसलिए डॉ भीम रॉव अंबेडकर विश्वविद्यालय के तहत इसे लाने के निर्णय को डीयू से किसी भी प्रकार की मंजूरी की आवश्यकता नहीं है. जबकि चार सदस्यों की टीम में शामिल कपिला मल्लाह, सुधांशु कुमार, आलोक रंजन पांडे, चंदर मोहन नेगी समेत दो कार्यकारी परिषद के सदस्यों ने डीयू के कुलपति को पत्र लिखकर फैसले का विरोध किया है. उन्होंने लिखा कि डीयू के कॉलेजों को दिल्ली विश्वविद्यालय से हटाना डीयू के अधिनियमों और अध्यादेशों का उल्लंघन करना होगा, इसलिए इसे रोका जाना चाहिए.
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