Distance Learning Points To Keep In Mind: डिस्टेंस लर्निंग के माध्यम से ऐसे कैंडिडेट्स को शिक्षा ग्रहण करने का एक अच्छा मौका मिल जाता है जो किसी कारणवश रेग्यूलर कोर्स ज्वॉइन नहीं कर सकते. डिस्टेंस लर्निंग के फायदे भी किसी से छिपे नहीं हैं पर इसका चुनाव करते वक्त कुछ बिंदुओं का ख्याल अवश्य रखें क्योंकि आजकल ऑनलाइन कोर्सेस की आड़ में बहुत से धोखाधड़ी के केसेस होते हैं. ये कोर्स न मान्यता प्राप्त होते हैं, न इनकी डिग्री का कहीं प्रयोग हो सकता है. आइये डालते हैं नजर कुछ जरूरी बिंदुओं पर.


सबसे जरूरी है एफिलियेशन –


ऑनलाइन कोर्स ऑप्ट करते समय सबसे पहले इस बात का ध्यान रखें कि आप जिस भी कोर्स का चुनाव कर रहे हैं, वो मान्यता प्राप्त है भी या नहीं. डिस्टेंस लर्निंग कोर्सेस को डिस्टेंस एजुकेशन ब्यूरो, नई दिल्ली से मान्यता मिलती है. अगर कोई कोर्स यहां से अप्रूव्ड नहीं है तो कतई उसका चुनाव न करें. याद रहे ये डिप्लोमा कोर्सेस को मान्यता देते हैं.


इसी तरह अगर ऑनलाइन डिग्री कोर्स का चुनाव कर रहे हैं तो देख लें कि वह यूनिर्विसीटी ग्रैंट्स कमीशन (यूजीसी) द्वारा मान्यता प्राप्त है या नहीं. यूजीसी अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर हर साल अप्रूव्ड यूनिवर्सिटीज और कॉलेजेस की सूची डालता है. यह बदलती भी रहती है. इसलिये चुनाव करने से पहले यूजीसी की वेबसाइट पर जाकर ताजा सूची जरूर देख लें. जिस भी कॉलेज या यूनिवर्सिटी या संस्थान से आप पढ़ाई करने जा रहे हैं, उसका रिकग्नाइज्ड और अप्रूव्ड होना जरूरी है.


प्लेसमेंट स्टेटस –


जब एडमीशन लेने की बारी आती है तो कई कॉलेजेस या संस्थायें, ज्यादा एडमीशन पाने के फेर में गलत प्लेसमेंट रिकॉर्ड्स दिखा देते हैं. बेहतर होगा आप पर्सनली चेक करें की संस्था के द्वारा किये जा रहे दावे, सच हैं या नहीं.


सबसे बेहतर तरीका है कि जो स्टूडेंट्स वहां से पास आउट हो चुके हैं, उनसे संपर्क करें. उनसे बेहतर वहां की तस्वीर आपको कोई औऱ नहीं बता सकता.


फैकल्टी है बहुत महत्वपूर्ण –


अपने कॉलेज की रेटिंग बढ़ाने के लिये कई बार कुछ संस्थान फैकल्टी के विषय में झूठ ही लिख देते हैं. या तो वह फैकल्टी वहां पढ़ाने नहीं आती या फैकल्टी की शिक्षा के विषय में जो जानकारी आपको दी जाती है, वह गलत होती है. यहां दिखाते कुछ और तथा होता कुछ और वाले कारक बहुत काम करते हैं. फैकल्टी को लेकर पूर्ण रूप से संतुष्ट होने के बाद ही इनरोलमेंट करायें. जो आपको पढ़ा रहे हैं, वे खुद कितना पढ़ें हैं यह जानना बहुत जरूरी है.


पर्सनल विजिट कर लें –


अगर मुमकिन हो तो जिस संस्थान का चुनाव आप करने जा रहे हैं, वहां जाकर एक बार सारी व्यवस्थायें सामने से देख लें. कई बार तो ऑनलाइन फ्रॉड इस लेवल का होता है कि झूठा एड्रेस डालकर लोग ऑफिस दिखा देते है, और वहां पहुंचने पर कोई ऑफिस होता ही नहीं. इसके साथ ही कई बार यूजीसी के नॉर्म्स को न फॉलो करते हुये एक कमरे से इस्टीट्यूट चलाया जा रहा होता है. देख लें कि ऑनलाइन एड्रेस में दिया ऑफिस का पता सच में है भी या नहीं.


कोर्स अपडेटेड है या नहीं –


चूंकि डिस्टेंस लर्निंग को पहले ही वह मान्यता नहीं मिलती है जो रेग्यूलर कोर्सेस को मिली होती है. ऐसे में बहुत जरूरी हो जाता है कि आप क्यूरिकुलम अच्छे से चेक कर लें. ऑनलाइन लाइब्रेरी, स्टडी मैटीरियल, टेस्ट पेपर्स, सेमिनार, वर्कशॉप की क्या स्थिति है. वर्चुअल क्लासेस कैसे कंडक्ट कराते हैं, उनका इंफ्रास्ट्रक्चर कैसा है, सब जानने के बाद ही आगे बढ़ें.


फीस के अलावा कोई हिडेन चार्जेस तो नहीं हैं, यह भी साफ कर लें. पेमेंट के लिये वो कैसे क्या सुविधा दे रहे हैं, कितने फ्लैक्सिबल हैं, सब देख लें.


इन सबको चेक करने के बाद ही एडमीशन लें आखिर यह आपके भविष्य का सवाल है.


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