दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेना लाखों स्टूडेंट्स का सपना होता है और ऐसे में रिजर्वेशन सिस्टम उनके लिए काफी मददगार साबित होता है. कई बार छात्र यह समझ नहीं पाते कि DU में किस श्रेणी को कितना रिजर्वेशन मिलता है. यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली केंद्रीय सरकार की रिजर्वेशन नीतियों का सख्ती से पालन करती है.

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अगर कोई छात्र EWS, OBC, SC या ST कोटे में एडमिशन लेना चाहता है, तो उसके पास मान्य प्रमाणपत्र होना जरूरी है जो सिर्फ तय अधिकारियों द्वारा जारी किया जा सकता है. इनमें जिला मजिस्ट्रेट, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट, कलेक्टर, डिप्टी कमिश्नर, तहसीलदार से ऊपर रैंक के राजस्व अधिकारी और सम्बंधित क्षेत्र के सब-डिविजनल ऑफिसर शामिल हैं. इनके अलावा किसी अन्य अधिकारी द्वारा जारी प्रमाणपत्र मान्य नहीं माना जाएगा.

ध्यान देने वाली बातें

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SC/ST या OBC सर्टिफिकेट में जाति का नाम, श्रेणी, जिला और राज्य साफ-साफ होना चाहिए और यह भी लिखा होना चाहिए कि जाति भारत सरकार की लिस्ट में स्वीकृत है. अगर किसी छात्र के पास आवेदन के समय अपडेटेड सर्टिफिकेट न हो, तो वह उसका आवेदन स्लिप अपलोड कर सकता है. लेकिन एडमिशन के समय मूल और नवीनतम प्रमाणपत्र दिखाना जरूरी है.

किसी भी परिस्थिति में अतिरिक्त समय नहीं दिया जाएगा. यदि कोई छात्र SC/ST/OBC/EWS में आता है लेकिन किसी दूसरी कैटेगरी जैसे PwBD या CW के तहत एडमिशन लेना चाहता है तो उसे उस श्रेणी की पात्रता भी पूरी करनी होगी. वहीं, अगर कोई छात्र रिजर्व कैटेगरी का होते हुए भी सामान्य सूची में मेरिट पर सिलेक्ट हो जाता है, तो उसे आरक्षित सीटों में नहीं गिना जाता.

किसे कितना रिजर्वेशन?

SC/ST छात्रों के लिए कुल सीटों में 22.5% आरक्षण है- 15% SC और 7.5% ST के लिए. न्यूनतम पात्रता के तौर पर SC/ST छात्रों के लिए पास मार्क्स ही पर्याप्त माने जाते हैं. अगर एडमिशन एंट्रेंस टेस्ट के आधार पर है, तो उन्हें टेस्ट देना होगा, लेकिन उनकी अलग मेरिट लिस्ट बनाई जाएगी. कट-ऑफ में 5% की छूट दी जाती है और अगर फिर भी सीटें खाली रह जाएं तो जरूरत के अनुसार और राहत दी जा सकती है. SC की सीट ST को और ST की सीट SC को दी जा सकती है, लेकिन यदि तब भी सीटें खाली रह जाएं, तो उन्हें खाली ही छोड़ दिया जाता है.

OBC छात्रों के लिए कुल सीटों में 27% आरक्षण है. इन्हें सामान्य श्रेणी की तुलना में पात्रता अंकों में 10% की छूट मिलती है. लेकिन OBC सर्टिफिकेट नॉन-क्रीमी लेयर वाला होना चाहिए और वह केंद्र सरकार की सूची में शामिल जाति का होना चाहिए. अगर किसी छात्र के पास रजिस्ट्रेशन के समय नवीनतम नॉन-क्रीमी लेयर प्रमाणपत्र नहीं है, तो वह पुराना सर्टिफिकेट या आवेदन स्लिप अपलोड कर सकता है, लेकिन एडमिशन के समय नवीनतम वर्ष का सर्टिफिकेट दिखाना जरूरी है.

EWS श्रेणी के लिए DU में 10% सीटें आरक्षित हैं. इन्हें केंद्र सरकार द्वारा तय नियमों के आधार पर माना जाता है और पात्रता उन्हीं दिशानिर्देशों के अनुसार तय होती है. EWS के लिए भी तय अधिकारियों द्वारा जारी मान्य प्रमाणपत्र जरूरी है.

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