देश के हायर एजुकेशन सिस्टम में आने वाले वर्षों में एक बड़ी चुनौती खड़ी होने वाली है. नई रिपोर्ट के अनुसार अगर भारत को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत तय किए गए लक्ष्य हासिल करने हैं तो 2035 तक हाई एजुकेशन में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में भारी बढ़ोतरी करनी होगी. उद्योग संगठन CII और ग्रांट थॉर्नटन भारत की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा स्थिति के मुकाबले देश को लगभग 85% ज्यादा नामांकन की जरूरत पड़ेगी. इसका सीधा मतलब है कि कॉलेज यूनिवर्सिटीज और टीचर्स की संख्या को भी बड़े स्तर पर बढ़ाना होगा. 2035 तक 50 प्रतिशत GER का लक्ष्य रिपोर्ट के अनुसार एनईपी 2020 का लक्ष्य है कि 2035 तक देश में ग्रॉस एनरोलमेंट अनुपात को 50% तक पहुंचाया जाए. इसके लिए भारत को करीब 8.61 करोड़ छात्रों को हाई एजुकेशन से जोड़ना होगा. फिलहाल जितने छात्र कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे हैं उसके मुकाबले यह आंकड़ा काफी ज्यादा है. रिपोर्ट का कहना है कि अगले 10 वर्षों तक करीब 5.3 प्रतिशत प्रतिवर्ष की लगातार बढ़ोतरी करनी होगी, जो अपने आप में आसान काम नहीं है. सिर्फ रुटीन कॉलेज और यूनिवर्सिटीज इस जरूरत को नहीं कर पाएंगे पूरा रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि केवल रूटीन कॉलेज और यूनिवर्सिटी इस जरूरत को पूरा नहीं कर पाएंगे. भले ही फिजिकल केंपस शिक्षा की रीढ़ बने रहेंगे. लेकिन इतनी बड़ी संख्या में छात्रों को समाहित करने के लिए नए रास्ते अपनाने होंगे. डिजिटल यूनिवर्सिटी ऑनलाइन क्रेडिट कोर्स वर्चुअल लर्निंग सिस्टम और टेक्नोलॉजी आधारित पढ़ाई को बड़े स्तर पर अपने अपने की जरूरत बताई गई है ताकि शिक्षा की पहुंच कैंपस से बाहर तक बढ़ाई जा सके. वही रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आने वाले समय में नौकरी से जुड़ी स्किल तेजी से बदलने वाली है. अनुमान है कि 2030 तक 40 प्रतिशत जॉब स्किल्स में बदलाव आ जाएगा. इस वजह से हाई एजुकेशन इंस्टीट्यूट आफ पढ़ाई के साथ-साथ रोजगार को ध्यान में रखकर कोर्स डिजाइन कर रहे हैं. माइक्रो क्रेडेंशियल मॉड्यूलर कोर्स इंडस्ट्री के साथ मिलकर पढ़ाई और आई आधारित असेसमेंट जैसे विकल्प तेजी से अपनी जा रहे हैं. टेक्नोलॉजी से बदल रहा एजुकेशन का तरीका एयरपोर्ट के अनुसार टेक्नोलॉजी ग्लोबलाइजेशन और छात्रों की बदलती अपेक्षाओं के चलते हाई एजुकेशन इंस्टीट्यूट से अपने सिस्टम में बदलाव कर रहे हैं. पढ़ाई के साथ-साथ एडमिनिस्ट्रेशन गवर्नेंस और फैसले लेने की प्रक्रिया में भी डिजिटल इस्तेमाल बढ़ रहा है की संख्या बढ़ाना नहीं बल्कि एजुकेशन की क्वालिटी और एक्सपीरियंस बनाना है.
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