इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार को लेकर हो रही है. बिहार में मतदाता सूची (Voter List) के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान (SIR) और विपक्ष द्वारा लगाए गए ‘वोट चोरी’ के आरोपों ने पूरे मामले को और गरमा दिया है. विपक्षी दलों का कहना है कि चुनाव आयोग की भूमिका निष्पक्ष नहीं दिख रही और इसी कारण वे अब बड़ा कदम उठाने की तैयारी में हैं. खबरें आ रही हैं कि INDIA गठबंधन संसद में ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रहा है.
क्या वाकई CEC को हटाना आसान है?
संविधान का अनुच्छेद 324 चुनाव आयोग को एक स्वतंत्र संस्था का दर्जा देता है. यानी चुनाव आयोग सरकार से अलग होकर काम करता है. यही कारण है कि मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाना किसी सामान्य अधिकारी को हटाने जैसा नहीं है. उन्हें केवल महाभियोग के जरिए ही हटाया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के जज की तरह ही CEC की सुरक्षा होती है. इसका मतलब है कि वे अपने पद से तब तक नहीं हट सकते, जब तक संसद के दोनों सदनों में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित न हो जाए.
महाभियोग की प्रक्रिया
महाभियोग लाने के लिए पहले लोकसभा या राज्यसभा, किसी भी एक सदन में प्रस्ताव रखा जाता है. अगर सदन में मौजूद और मतदान करने वाले सदस्यों का दो-तिहाई बहुमत इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट करता है, तो यह पारित माना जाता है. इसके बाद वही प्रस्ताव दूसरे सदन में जाता है और वहां भी दो-तिहाई बहुमत से पास होना जरूरी है. दोनों सदनों से पास होने के बाद राष्ट्रपति आदेश जारी करते हैं और तभी मुख्य चुनाव आयुक्त को उनके पद से हटाया जा सकता है.
कितना वेतन और सुविधाएं मिलती हैं CEC को?
अब अगर बात करें ज्ञानेश कुमार की सैलरी और सुविधाओं की, तो मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों को सुप्रीम कोर्ट के जजों के बराबर वेतन मिलता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक उनकी मासिक तनख्वाह करीब 3.5 लाख रुपये है.
क्या मिलती हैं सुविधाएं
- रहने के लिए आलीशान सरकारी आवास
- आधिकारिक गाड़ी और ड्राइवर
- सुरक्षा व्यवस्था
- अन्य भत्ते और सुविधाएं
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