केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम 2009 के तहत स्थापित, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ गुजरात (CUG) ने अपने 16 सालों के सफर में शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. 2009 में अपनी यात्रा शुरू करने वाले इस विश्वविद्यालय ने शुरुआत में छोटे पैमाने पर कार्य किया, लेकिन आज यह गुजरात का एक प्रमुख शैक्षणिक संस्थान बन चुका है. विश्वविद्यालय की स्थापना का मुख्य उद्देश्य था उच्च शिक्षा को अधिक समावेशी और पहुंच योग्य बनाना. शुरुआत में सेक्टर 29, गांधीनगर में अस्थायी परिसर से शुरू हुआ यह विश्वविद्यालय, अब शाहपुर में अपने स्थायी परिसर में विकसित हो रहा है.
प्रवेश प्रक्रिया: योग्य छात्रों के लिए अवसर
CUG में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और योग्यता आधारित है. स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए छात्रों को CUET-PG (सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट फॉर पोस्ट ग्रेजुएट) परीक्षा पास करना आवश्यक है. वहीं, पीएचडी प्रोग्राम के लिए UGC-NET या CSIR-NET के साथ-साथ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित इंटरव्यू में पास होना जरूरी है.
यूनिवर्सिटी में ये हैं कोर्स और फीस स्ट्रक्चर
वर्तमान में CUG में कई स्कूल और केंद्र हैं जो विभिन्न विषयों में स्नातकोत्तर और शोध पाठ्यक्रम कर रहे हैं:
- स्कूल ऑफ केमिकल साइंसेज- स्कूल ऑफ एनवायरनमेंटल साइंसेज- स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज- स्कूल ऑफ लैंग्वेज, लिटरेचर एंड कल्चर स्टडीज- स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज- स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज- स्कूल ऑफ लाइब्रेरी एंड इनफॉर्मेशन साइंस
स्नातक स्तर पर BA, BA (Hons.) Research की वार्षिक फीस लगभग 7,500 से 10,000 रुपये के बीच है, मास्टर्स स्तर पर MA, M.Sc, M.Ed, M.Phil की फीस 8 हज़ार से 14 हजार जबकि पीएचडी प्रोग्राम के लिए शुल्क प्रति वर्ष लगभग 8,000 से 12,000 रुपये है. यह शुल्क अन्य निजी विश्वविद्यालयों की तुलना में काफी कम है, जिससे अधिक से अधिक छात्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं.
प्रसिद्ध पूर्व छात्र और उनकी उपलब्धियां:
CUG के कई पूर्व छात्रों ने अपने-अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. कुछ प्रमुख नाम हैं:
- डॉ. प्रणव पटेल, जिन्होंने पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में अपने शोध के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीता.- सुश्री अंजलि मेहता, जो अब ISRO में वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत हैं.- डॉ. राजेश शर्मा, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर अपने काम के लिए ख्याति प्राप्त की है और अब दिल्ली के एक प्रमुख थिंक टैंक में कार्यरत हैं.- सुश्री नीलम सिंह, जो अब एक प्रसिद्ध समाजसेवी हैं और गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा के प्रसार के लिए काम कर रही हैं.
यह भी पढ़ें: Success Story: दो बार फेल हुईं, बीमारी से लड़ी लेकिन हिम्मत नहीं हारी, AIR 94 लाकर बनीं IFS ऑफिसर
Education Loan Information:
Calculate Education Loan EMI