CBSE 12th Exam 2021: ज्यादातर राज्यों ने 12वीं की परीक्षा के लिए CBSE के ऑप्शन B का किया समर्थन
CBSE 12th Exam 2021: सूत्रों के मुताबिक ज्यादातर राज्य 12वीं की परीक्षा के आयोजन को लेकर सीबीएसई द्वारा प्रस्तावित दूसरे ऑप्शन के पक्ष में हैं. बता दें कि दूसरा विकल्प 19 "प्रमुख विषयों" के लिए एक शॉर्ट परीक्षा आयोजित करना है. वहीं कुछ राज्यों ने छात्रों परीक्षा से पहले वैक्सीनेशन पर जोर दिया है.

12वीं की परीक्षा को लेकर देश के सभी राज्य फिलहाल शिक्षा मंत्रालय (MoE) को भेजे जाने वाले अपने सुझावों का मसौदा तैयार कर रहे हैं. वहीं सूत्रों के अनुसार अधिकांश राज्यों ने 19 "प्रमुख विषयों" के लिए एक शॉर्ट परीक्षा आयोजित करने का ऑप्शन चुना है. वहीं कुछ ने परीक्षा से पहले छात्रों और शिक्षकों के वैक्सीनेशन पर जोर दिया है. इन सबके बीच, 300 से अधिक छात्रों ने परीक्षा के फीजिकल संचालन को रद्द करने के लिए भारत के चीफ जस्टिस को एक पत्र लिखा है.
सीबीएसई ने 12वीं की परीक्षा को लेकर दो विकल्प पेश किए थे
गौरतलब है कि रविवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद, MoE ने राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को सीबीएसई द्वारा बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के लिए रखे गए दो प्रस्तावों पर मंगलवार तक विस्तृत सुझाव देने को कहा था. बता दें कि CBSE ने दो विकल्प प्रस्तावित किए हैं – नॉटिफाइड सेंटर्स पर 19 प्रमुख विषयों के लिए रेग्यूलर परीक्षा आयोजित करना या संबंधित स्कूलों में छोटी अवधि की ऑब्जेक्टिव टाइप की परीक्षा आयोजित करना.
300 छात्रों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को लिखा पत्र
वहीं ट्विटर पर हैशटैग "कैंसलबोर्ड परीक्षा" का ट्रेंड जारी है. इधर 300 से अधिक छात्रों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश, एनवी रमना को परीक्षा के फिजिकल संचालन के प्रस्ताव को रद्द करने और पिछले साल की तरह एक वैकल्पिक मूल्यांकन योजना प्रदान करने के लिए एक पत्र लिखा है. हालांकि MoE के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि “अब तक मिले फीडबैक के आधार पर आम सहमति यह है कि परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए. जैसा कि शिक्षा मंत्री ने कहा है, एक जून तक 12वीं की परीक्षा को लेकर अंतिम फैसले की घोषणा की जाएगी.
इन राज्यों ने दूसरे विकल्प को चुना
बता दें कि दिल्ली सरकार ने "टीकाकरण या रद्दीकरण" के अपने रुख को दोहराया है, राज्य विकल्प बी के पक्ष में है. वहीं महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री ने कहा है कि राज्य अभी भी "नॉन एग्जामिनेशन रूट" के पक्ष में है.पंजाब सरकार ने भी दूसरा ऑप्शन चुना है, हालांकि ये भी दोहराया है कि छात्रों को परीक्षा से पहले टीकाकरण की आवश्यकता है. वहीं हिमाचल प्रदेश, केरल, बिहार, कर्नाटक भी उन राज्यों में शामिल हैं, जिन्होंने दूसरे विकल्प की वकालत की है.
इन सबके बीच छात्रों और अभिभावकों का एक बड़ा वर्ग परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहा है.
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Source: IOCL






















