कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को निर्देश दिया कि अभिभावकों को छात्रों की बकाया फीस का कम से कम 50 प्रतिशत का भुगतान तीन सप्ताह में स्कूलों को करना होगा. ऐसा न करने पर स्कूल प्रशासन द्वारा छात्रों पर कार्रवाई की जा सकती है.

अदालत ने कहा कि वह इस बात पर भी विचार करेगी कि जिन छात्रों ने 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा दी है और पास हुए हैं, उनके लिए 'संबंधित बोर्ड को निर्देश दिया जाए कि वे स्कूल फीस का भुगतान होने तक उनकी क्वालिफिकेशन और सर्टिफिकेट को निलंबित कर दें.

अभिभावकों को बकाया फीस का 50 फीसदी भुगतान 3 हफ्ते में करना होगा

आर्थिक रूप से स्थिर माता-पिता के एक वर्ग पर कथित तौर पर मौजूदा महामारी की स्थिति का फायदा उठाते हुए अपने बच्चों की फीस समय पर नहीं चुकाने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए, जस्टिस आईपी मुखर्जी और मौसमी भट्टाचार्य की खंडपीठ ने आदेश दिया कि अभिभावकों को तीन सप्ताह के भीतर कम से कम बकाया फीस का 50 प्रतिशत भुगतान करना होगा.

पीठ ने इस जनहित याचिका (PIL) के दायरे में आने वाले एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स को निर्देश दिया कि वे हर डिफॉल्टर अभिभावक को एक सप्ताह के भीतर नोटिस भेजें, जिसमें मार्च 2020 से बकाया फीस का उल्लेख किया जाए.

फीस का भुगतान न करने पर छात्रों को स्कूल से निकाला जा सकता है

पीठ ने कहा कि अगर सुनवाई की अगली तारीख तक अभिभावकों द्वारा फीस जमा नहीं कराई जाती है तो अदालत स्कूलों को ऐसे छात्रों को ऑनलाइन और फीजिकल क्लासेज से निलंबित करने की अनुमति देने पर विचार करेगी या "छात्रों का नाम स्कूल के रोल से बिना किसी नोटिस दिए हटा दिया जाएगा. कोर्ट ने निर्देश दिया कि मामले की दोबारा सुनवाई दो सितंबर को की जाएगी.

बेंच ने कहा कि कई परिवार महामारी की वजह से  आर्थिक संकट में हैं, वहीं स्कूल अधिकारियों को भी संस्थानों को चलाने में मुश्किल हो रही है.

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