बिहार राज्य के शिक्षकों के लिए बढ़िया खबर है. जो शिक्षक राज्य के किसी भी विश्वविद्यालय में आठ साल की सेवाएं दे चुके हैं अब वह प्रोफेसर बन सकेंगे. बता दें कि प्रदेश की सभी यूनिवर्सिटी में लेक्चरर इन सेलेक्शन ग्रेड वाले टीचर अब प्रोफेसर बन पाएंगे. ऐसे शिक्षकों को अपने कार्यकाल के आठ साल वक्त के दौरान कम से कम तीन पेपर प्रकाशित कराएं हों. साथ ही साथ वह पीएचडी भी करा चुके हों. तभी वह प्रोफेसर के लिए योग्य माने जाएंगे.

हाईकोर्ट के आदेश के आधार पर राजभवन की तरफ से एक पत्र जारी किया गया है. जिसमें कहा गया है कि रीडर व लेक्चरर सेलेक्शन ग्रेड के शिक्षक जिनकी सेवाओं को 8 वर्ष पूरी हो चुकी है या फिर एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में पुनर्निर्मित शिक्षक जिनकी सेवा पांच वर्ष साल पूरी हो गई है, वह प्रोफेसर पोस्ट के लिए योग्य हैं.

प्रमोशन की थी अपील

रिपोर्ट्स के अनुसार कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि लेक्चरर सेलेक्शन ग्रेड के शिक्षकों को तभी लाभ मिल पाएगा जब वह आठ वर्ष में तीन पेपर प्रकाशित करावा चुके हों साथ ही पीएचडी भी करा चुके हों. पटना विश्वविद्यालय के शिक्षकों की तरफ से ये मामला उठाया गया था. शिक्षकों ने यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन के मानकों के आधार पर प्रमोशन की अपील की थी. जिस पर कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है.

होगा फायदा

राज्य भर के विश्वविद्यालयों में लेक्चरर सेलेक्शन ग्रेड के शिक्षक तैनात हैं जोकि यूजीसी के मानक को पूर्ण कर रहे हैं. लेकिन उन्हें इसका फायदा नहीं मिल रहा था. कोर्ट के फैसले से ऐसे सभी शिक्षकों को फायदा पहुंचेगा. एक्सपर्ट्स की मानें तो इसका फायदा छात्रों को पीएचडी की रिक्तियों में भी होगा. पहले जो शिक्षक चार पीएचडी करा सकते थे, वह प्रोफेसर बनने के बाद आठ पीएचडी करा पाएंगे.

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