हर साल लाखों युवा UPSC सिविल सेवा परीक्षा देते हैं, लेकिन इनमें से कुछ ही लोग भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में पहुंच पाते हैं. IAS बनना सिर्फ एक नौकरी नहीं, बल्कि एक लंबा और जिम्मेदारी से भरा करियर होता है. इस करियर में अफसर को अलग-अलग पदों पर काम करते हुए एक्सपीरियंस हासिल करना पड़ता है और फिर धीरे-धीरे प्रमोशन मिलते हैं. इसके बाद एक IAS अधिकारी करीब कई साल में DM बनता है. ऐसे में अक्सर लोगों के मन में यह सवाल होता है कि एक जिला मजिस्ट्रेट (DM) कितने प्रमोशन के बाद प्रमुख सचिव बनता है और इस दौरान उसकी सैलरी कितनी बढ़ जाती है. 

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DM बनने का सफर

ADM के बाद जब अधिकारी को पूरा एक्सपीरियंस हो जाता है, तब वह जिले का सबसे बड़ा अफसर बनता है. DM को जिले का मुखिया माना जाता है. जिसमें कानून-व्यवस्था, विकास कार्य और सरकारी योजनाओं की पूरी जिम्मेदारी होती है. आमतौर पर 9 से 10 साल की सेवा के बाद कोई IAS अधिकारी DM बनता है. DM की सैलरी लगभग 78,800 होती है. इसके अलावा भत्ते (DA, HRA, TA) जोड़ने के बाद सैलरी और बढ़ जाती है. 

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DM के बाद कितने प्रमोशन होते हैं?

DM के बाद भी अधिकारी के लिए कई बड़े प्रमोशन होते हैं. DM के बाद आने वाले पद में संयुक्त सचिव और संभागीय आयुक्त (Divisional Commissioner) शामिल हैं. इन पदों पर अधिकारी आमतौर पर 13 से 16 साल की सेवा के बाद पहुंचता है. इन पदों पर सैलरी भी 1,18,500 से 1,44,200 तक होती है. 

एक डीएम कितने प्रमोशन के बाद बन जाता है प्रमुख सचिव

एक डीएम कई साल की सेवा के बाद प्रमुख सचिव बनाया जाता है. यह राज्य सरकार के सबसे वरिष्ठ अधिकारियों में से एक पद होता है. प्रमुख सचिव की सैलरी 1,82,200 (Level-15) से 2,05,400 (Level-16) तक होती है. वहीं भत्ते जोड़ने के बाद अक्सर 3 लाख से ज्यादा हो जाती है. 

कितनी बढ़ जाती है उसकी सैलरी?

अगर सैलरी की बढ़ोतरी की बात करें, तो एक IAS अधिकारी के करियर में यह बदलाव काफी बड़ा होता है. जब कोई अधिकारी जिला मजिस्ट्रेट (DM) होता है, तब उसका मूल वेतन करीब 78,800 होता है, लेकिन जैसे-जैसे प्रमोशन होते हैं और वह प्रमुख सचिव के पद तक पहुंचता है, तो उसका मूल वेतन बढ़कर लगभग 1,82,200 से 2,05,400 हो जाता है, यानी सैलरी ढाई गुना से भी ज्यादा हो जाती है. इसके अलावा प्रमुख सचिव जैसे वरिष्ठ पद पर IAS अधिकारी को कई विशेष सरकारी सुविधाएं भी मिलती हैं, जैसे रहने के लिए बड़ा सरकारी बंगला, आने-जाने के लिए सरकारी गाड़ी और ड्राइवर, दफ्तर और घर के काम के लिए स्टाफ, मुफ्त या रियायती मेडिकल सुविधा और सरकारी कामों के लिए यात्रा भत्ता, जिससे कुल मासिक कमाई और जीवन स्तर दोनों काफी बेहतर हो जाते हैं. 

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