Patanjali Ayurveda: धर्मनगरी हरिद्वार स्थित पतंजलि आयुर्वेद महाविद्यालय में आयोजित चार दिवसीय वार्षिक खेल महोत्सव 'ओजस' का सोमवार को भव्य समापन हो गया. इस चार दिवसीय आयोजन में कॉलेज के विद्यार्थियों ने विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा और खेल भावना का शानदार प्रदर्शन किया. समापन समारोह के अवसर पर पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे.

Continues below advertisement

विचारों का निर्माण गुरु के सान्निध्य में: बालकृष्ण 

समापन समारोह को संबोधित करते हुए आचार्य बालकृष्ण ने विद्यार्थियों को जीवन के गूढ़ रहस्यों से अवगत कराया. उन्होंने कहा कि मनुष्य के शरीर का निर्माण तो माता के गर्भ में होता है, लेकिन उसके विचारों और व्यक्तित्व का निर्माण केवल गुरु के सान्निध्य में ही संभव है. उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि वर्तमान समय उनके लिए 'आगम काल' है, जिसमें गुरुजन उन्हें ज्ञान और कौशल से दीक्षित कर रहे हैं. इसके बाद 'स्वाध्याय काल' आता है, जिसमें निरंतर अभ्यास और अध्ययन के बिना सामर्थ्य विकसित नहीं की जा सकती.

Continues below advertisement

खेल और अनुशासन का महत्व

आचार्य बालकृष्ण ने खेलों को किसी भी शिक्षण संस्थान के आयोजनों की 'आत्मा' बताया. उन्होंने कहा कि खेल केवल मनोरंजन का साधन नहीं हैं, बल्कि ये युवा वर्ग को अनुशासन सिखाते हैं और उन्हें जीवन की सही दिशा देने का काम करते हैं. उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे आलस्य और प्रमाद को त्यागकर निरंतर अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अध्ययनरत रहें.

सच्ची खेल भावना पर जोर 

इस अवसर पर भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष एनपी सिंह ने भी अपने विचार साझा किए. उन्होंने खेल भावना की परिभाषा देते हुए कहा कि खेल हमें अपने प्रतिद्वंद्वी का सम्मान करना सिखाते हैं. हार और जीत से ऊपर उठकर एक-दूसरे का आदर करना ही खेल की सच्ची भावना है.

इस समापन समारोह में डॉ. गिरिश केजे, डॉ. सौरभ शर्मा, साध्वी देवसुमना, साध्वी देवस्वस्ति और साध्वी देवविभा सहित पतंजलि परिवार के कई वरिष्ठ सदस्य, शिक्षक और भारी संख्या में विद्यार्थी मौजूद रहे. कार्यक्रम के अंत में विजेता खिलाड़ियों को पुरस्कृत कर उनकी हौसला अफजाई की गई.


Education Loan Information:

Calculate Education Loan EMI