Bihar Elections 2025: ओवैसी के गठबंधन प्रस्ताव पर RJD का रुख सख्त, कहा- AIMIM ने खोल दी अपनी पोल, क्या बोली JDU?
Bihar Elections: ओवैसी से गठबंधन को लेकर आरजेडी का बड़ा बयान आया है. प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि एआईएमआईएम जज्बाती बातों व नारों के सहारे एवं परसेप्शन की राजनीति के जरिए माहौल खड़ा करना चाहती है.

बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम की ओर से आरजेडी को गठबंधन के लिए चिट्ठी लिखी गई थी. प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन आरजेडी ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया.
ढोल लेकर राबड़ी आवास पर पहुंच थे नेता
बीते गुरुवार को ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के बिहार अध्यक्ष व विधायक अख्तरुल ईमान समेत अन्य नेता आरजेडी से बिहार विधानसभा चुनाव में गठबंधन के लिए ढोल लेकर पटना में राबड़ी आवास पर पहुंच गए थे मार्च करते हुए. इस दौरान नारेबाजी भी हुई. नेताओं की लालू तेजस्वी से मुलाकात नहीं हो सकी. लौटना पड़ा. दरअसल सेकुलर वोटों के बिखराव को रोकने के लिए एआईएमआईएम गठबंधन चाहती है.
एआईएमआईएम महागठबंधन में रहकर विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती है. अब ओवैसी से गठबंधन को लेकर आरजेडी का बड़ा बयान सामने आया है. प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि एआईएमआईएम जज्बाती बातों व नारों के सहारे एवं परसेप्शन की राजनीति के जरिए माहौल खड़ा करना चाहती है. अगर आप किसी से समझौता करना चाहते हैं तो ढोल बजाकर समझौता नहीं होता है. ढोल बजाकर आपने अपनी पोल खोल दिया. आपके पास संगठन नहीं है.
मुसलमानों को अपने संगठन में भागीदारी नहीं देना चाहते हैं. बिहार का मुसलमान आपके साथ नहीं बल्कि लालू तेजस्वी के साथ है, क्योंकि चाहे कैसी भी परिस्थिति रही हो इन लोगों ने कभी भी बीजेपी के साथ समझौता नहीं किया. बयान से स्पष्ट है कि आरजेडी गठबंधन के मूड में नहीं है. वैसे भी महागठबंधन के दल ओवैसी को बीजेपी की B टीम बताते रहे हैं.
इस पर जेडीयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा कि ओवैसी की एआईएमआईएम आरजेडी से गठबंधन कर महागठबंधन में रहकर विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती है. यह गठबंधन के अंदर का मसला है. लालू तेजस्वी को M (मुस्लिम) का प्रतिनिधित्व नहीं चाहिए. M के लिए राजनीतिक हस्तक्षेप लालू तेजस्वी बर्दाश्त नहीं कर सकते. वैसे नीतीश के नेतृत्व में बिहार में फिर से एनडीए की सरकार आ रही है.
बिहार में मुस्लिम आरजेडी के परंपरागत वोटर
बिहार में मुस्लिम करीब 18 फीसदी हैं, जो आरजेडी के परंपरागत वोटर हैं. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी तीसरा मोर्चा बनाकर लड़ी थी और आरजेडी के वोट बैंक में जबरदस्त सेंधमारी करते हुए 5 सीट जीती थी. बाद में चार विधायक राजद में चले गए थे. इस बार भी ओवैसी की पार्टी अलग लड़ती है तो महागठबंधन को नुकसान एनडीए को लाभ हो सकता है, क्योंकि मुस्लिम वोट बंट जाएंगे.
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