केंद्र सरकार अपराधिक मामलों से जुड़े एक विधेयक संसद में पेश करने की योजना बना रही है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में विधेयक को संसद की एक संयुक्त समिति को भेजने के लिए प्रस्ताव भी पेश कर दिया है. ये विधेयक गंभीर आपराधिक आरोपों में फंसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को हटाने से संबंधित है.

क्या बोले आरजेडी सांसद मनोज झा?

इस पर बिहार के आरजेडी सांसद मनोज झा और जेडीयू सांसद संजय झा ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. आरजेडी सांसद इस विधेयक को गलत और संविधान के खिलाफ मान रहे हैं, तो वहीं जेडीयू सांसद का कहना है कि यह बहुत स्वागत योग्य कदम है. 

गंभीर आपराधिक आरोपों में फंसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को हटाने संबंधी विधेयक पर आरजेडी नेता मनोज झा ने कहा, "अभियुक्त और दोषी का फर्क मिट गया है. ED के बारे में सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी थी कि आप राजनीति का हिस्सा बन रहे हैं. मुझे लगता है कि यह एक तरीका है कि जहां आप चुनाव नहीं जीत सकते हैं, वहां आप अस्थिर कर दीजिए. बीजेपी कुछ अपने लोगों को भी निपटाना चाहती है."

वहीं इस विधेयक पर जेडीयू सांसद संजय कुमार झा ने कहा, "यह बहुत स्वागत योग्य कदम है. प्रधानमंत्री खुद को इस दायरे में ले रहे हैं. यह हुआ इसलिए कि जो लोग संविधान की किताब लेकर घूम रहे हैं, उसी इंडिया गठबंधन के मुख्यमंत्रियों को जब कोर्ट ने जेल भेजा था तो वे तिहाड़ जेल से अपना राज चला रहे थे."

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री भी इस कानून के दायरे में

बता दें कि इस बिल के पास हो जाने के बाद तहत प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री या किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के मंत्री को गंभीर आपराधिक आरोपों में लगातार 30 दिनों तक गिरफ्तार या हिरासत में रखने पर पद से हटाए जा सकेंगे.

वहीं विपक्ष के अन्य सांसदों ने भी इसे गलत माना है है और कहा कि वे इन बिलों का विरोध करेंगे. यह संविधान के खिलाफ है. बीजेपी हर चीज अपने हाथों में ले रही है. वो यह भूल रही है कि वे हमेशा सत्ता में नहीं रहेंगी. 

ये भी पढ़ें: 'जमीन और नौकरी के बीच कोई संबंध नहीं', राउज एवेन्यू कोर्ट में राबड़ी देवी के वकील की दलील