'राजभवन पहुंची प्रशांत किशोर की पार्टी...', बोले उदय सिंह- सम्राट चौधरी पर नहीं हुई कार्रवाई तो...
Uday Singh: जन सुराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि हमारा ज्ञापन राज्यपाल तक पहुंचेगा. साथ ही हमें केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी पर पूरा भी भरोसा है.

जन सुराज पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को राजभवन में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मुलाकात करने पहुंचा, लेकिन राज्यपाल से समय मिलने के बावजूद जन सुराज पार्टी के प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात राज्यपाल से नहीं हो सकी. तब प्रतिनिधिमंडल उनके प्रधान सचिव को ज्ञापन और प्रधानमंत्री मोदी के नाम लिखा पत्र सौंप कर लौट गए.
राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने क्या कहा?
प्रतिनिधिमंडल में जेएसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह, प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती, वरिष्ठ नेता रामबली चंद्रवंशी और प्रदेश महासचिव किशोर कुमार शामिल थे. राजभवन से बाहर आकर राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने राज्यपाल से मुलाकात नहीं होने की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि हमने राज्यपाल के प्रधान सचिव को अपनी मांगों का ज्ञापन और साथ में आज ही प्रधानमंत्री मोदी को लिखा पत्र सौंपा है.
उदय सिंह ने कहा, "हमें पूरी उम्मीद है कि हमारा ज्ञापन राज्यपाल तक पहुंचेगा. साथ ही अब हमें केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी जी पर पूरा भरोसा है कि डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी पर कार्रवाई होगी और न्याय मिलेगा"
उदय सिंह ने पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि मुझ पर भी उम्र छिपाने के आरोप लग रहे हैं, लेकिन मैंने नियमानुसार नामांकन के वक्त वही उम्र बताया है, जो वोटर लिस्ट में है. उम्र छिपाकर मुझे कोई लाभ नहीं होने वाला था.
उन्होंने बताया कि जन सुराज पार्टी ने अपने ज्ञापन में कहा है कि तारापुर थाना कांड संख्या 44/1995 में सम्राट चौधरी उर्फ राकेश कुमार अभियुक्त बनाए गए तथा पुलिस ने उनकी गिरफ़्तारी भी हुई, किंतु उन्होंने मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी के सामने स्कूल का सर्टिफिकेट दिखाकर स्वयं को नाबालिग बताकर जमानत प्राप्त की.
उदय सिंह ने कहा कि वर्ष 1999 में बिना विधान सभा अथवा विधान परिषद का सदस्य बने जब उन्हें कृषि विभाग में मंत्री बनाया गया, तब पी के सिन्हा की याचिका पर तत्कालीन बिहार के राज्यपाल ने उन्हें 25 वर्ष की आयु से कम होने के आधार पर मंत्री पद से हटा दिया. फिर वर्ष 2000 में सम्राट चौधरी परबत्ता विधान सभा क्षेत्र से विधान सभा का चुनाव लड़े और विधान सभा के सदस्य बने.
'वर्ष 2000 में हुआ था उनका निर्वाचन निरस्त'
उनकी सदस्यता को न्यायालय में चुनौती दी गई, जिसमें सर्वोच न्यायालय ने वर्ष 2003 में अपना निर्णय दिया. आदेश में स्पष्ट किया कि जमानत प्राप्त करने के लिए सम्राट चौधरी ने वर्ष 1996 में अपनी आयु 16 वर्ष से कम दर्शाई थी. न्यायालय ने उनके द्वारा प्रस्तुत विद्यालय के फर्जी दस्तावेजों को मानने से इंकार किया और इस आधार पर वर्ष 2000 में हुआ उनका निर्वाचन निरस्त कर दिया गया.
उन्होंने आगे कहा कि वर्ष 2005, नवंबर महीने के विधान सभा चुनाव में भी इसी आधार पर उच्च न्यायालय ने उनकी उम्मीदवारी रद्द की थी. आश्चर्यजनक यह है कि वर्ष 2010 के विधान सभा चुनाव में सम्राट चौधरी ने अपने नामांकन पत्र में अपनी उम्र 28 वर्ष बताई और वर्ष 2020 के विधान परिषद चुनाव के लिए प्रस्तुत घोषणापत्र में उन्होंने अपनी आयु 51 वर्ष दर्ज की है, जबकि सर्वोच न्यायालय के अवलोकन के अनुसार यदि 1996 में उनकी आयु 16 वर्ष से कम थी. तो 2020 में उनकी आयु 40 वर्ष से भी कम होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट है कि सम्राट चौधरी ने उक्त हत्याकांड से बचने के लिए स्वयं को नाबालिग दर्शाया और न्यायिक व्यवस्था को धोखे में रखा तथा पुनः वर्ष 2020 में न्यायालय के आदेश की अवहेलना करते हुए झूठी जानकारी प्रस्तुत कर चुनाव जीता और उपमुख्यमंत्री पद पर आसीन हो गए.
इसलिए देश की लोकतांत्रिक एवं न्यायिक व्यवस्था में जनमानस का विश्वास बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि सम्राट चौधरी को तत्काल उपमुख्यमंत्री पद से हटाया जाए, हत्या और जलसाजी के मामले में तुरंत गिरफ्तार किया जाए और पूरे मामले का उच्च न्यायालय की निगरानी में निष्पक्ष जांच कराई जाए.
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Source: IOCL





















