Zoho CEO: अपनी अनूठी जीवनशैली के लिए अरबपतियों के बीच अलग पहचान बना चुके जोहो (Zoho) के सीईओ श्रीधर वेम्बू (Sreedhar Vembu) ने अब एक ज्वलंत मुद्दे की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया है. उन्होंने कहा कि स्कूल और कॉलेज की बढ़ती फीस चिंताजनक है. इसका बड़ा कारण गांवों और शहरों में बढ़ती रियल एस्टेट की कीमतें हैं. श्रीधर वेम्बू ने कहा है कि जमीन की बढ़ती कीमत न सिर्फ शिक्षा बल्कि रिटेल और स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालेगी.

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जमीनों की बढ़ती कीमतों से पढ़ाई करना हो जाएगा असंभव

अरबपतियों की लिस्ट में शामिल श्रीधर वेम्बू जमीनों की बढ़ती कीमतों से परेशान हैं. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि धीरे-धीरे शिक्षा इतनी महंगी होती जा रही है कि लोगों को अपने बच्चों को पढ़ाना मुश्किल होता जाएगा. शहरों के साथ ही कस्बों और गांवों में भी रियल एस्टेट की कीमतें आसमान छू रही हैं. यह अच्छा संकेत नहीं है. शिक्षा के अलावा घर बनाना और स्वास्थ्य सेवाएं भी इसकी वजह से महंगी हो जाएंगी. 

पॉलिटिक्स में भ्रष्टाचार का पैसा रियल एस्टेट में लग रहा

श्रीधर वेम्बू ने यह कमेंट बेंगलुरु के एक वेंचर कैपिटलिस्ट अविरल भटनागर की पोस्ट पर किया. अविरल ने पोस्ट किया था कि हैदराबाद में एलकेजी की फीस 3.7 लाख रुपये महीना हो चुकी है. जोहो सीईओ ने लिखा कि पॉलिटिक्स में भ्रष्टाचार से पैदा हो रहा बहुत सारा पैसा रियल एस्टेट में ही लगाया जा रहा है. इसकी वजह से रियल एस्टेट की कीमतें अनावश्यक रूप से उछलती जा रही हैं. एक तरह से देखा जाए तो हम सभी राजनीति में फैले भ्रष्टाचार की कीमत ज्यादा फीस भरकर, महंगे घर लेकर और इलाज में अतिरिक्त पैसे देकर चुका रहे हैं. 

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सोशल मीडिया पर बढ़ती फीस का मुद्दा उठाते रहे हैं लोग 

इससे पहले दिल्ली के एक आदमी ने पोस्ट किया था कि वह बच्चे के प्ले स्कूल की फीस 4.3 लाख रुपये भर रहा है. इसके अलावा गुरुग्राम के एक व्यक्ति ने लिखा था कि वह क्लास 3 में पढ़ने वाले बच्चे की हर महीने 30 हजार रुपये फीस भर रहा है. उनका दावा है कि सीबीएसई बोर्ड के स्कूल हर साल 10 फीसदी फीस बढ़ा देते हैं. अगर ऐसा ही चलता रहा तो उसे अपने बच्चे के 12वीं में पहुंचने पर 9 लाख रुपये सालाना भरने होंगे.

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