भारत का BFSI (बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंश्योरेंस) सेक्टर पिछले कुछ सालों में जबरदस्त बदलावों से गुज़रा है और इसकी रफ्तार अब और भी तेज होने वाली है. जाने-माने ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल की ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि इस सेक्टर ने दो दशकों में 50 गुना ग्रोथ की है.
साल 2005 में जहां इसका मार्केट कैप सिर्फ 1.8 लाख करोड़ था, वहीं 2025 तक ये बढ़कर 91 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है. इस बड़े बदलाव के पीछे कई फैक्टर्स हैं, जैसे डिजिटलीकरण, फिनटेक कंपनियों का उभार, सरकारी नीतियों में सुधार और देश की बढ़ती आबादी.
मोतीलाल ओसवाल ने किन शेयरों पर जताया भरोसा
इस ग्रोथ स्टोरी के बीच मोतीलाल ओसवाल ने BFSI सेक्टर की अपनी टॉप स्टॉक पिक्स भी बताई हैं. लार्ज कैप की बात करें तो ICICI बैंक, HDFC बैंक और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) जैसे दिग्गज नाम शामिल हैं. वहीं मिड-साइज़ बैंकों में फेडरल बैंक और AU स्मॉल फाइनेंस बैंक को पसंदीदा बताया गया है. NBFC (गैर-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों) की कैटेगरी में श्रीराम फाइनेंस, होमफर्स्ट फाइनेंस, पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस और एलएंडटी फाइनेंस होल्डिंग्स को टॉप चॉइस माना गया है.
प्राइवेट बैंक बेहतर रहे
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्राइवेट बैंकों का प्रदर्शन पब्लिक सेक्टर बैंकों के मुकाबले बेहतर रहा है. प्राइवेट बैंक FY26-27 तक करीब 18.8 फीसदी की ग्रोथ दर्ज कर सकते हैं, जबकि सरकारी बैंकों की ग्रोथ 11.7 फीसदी तक सीमित रह सकती है. इसकी सबसे बड़ी वजह है प्राइवेट बैंकों की मजबूत बैलेंस शीट, कुशल लागत प्रबंधन और टेक्नोलॉजी को लेकर उनकी आक्रामक रणनीति.
निफ्टी 50 इंडेक्स में BFSI सेक्टर की हिस्सेदारी भी समय के साथ काफी बढ़ी है. 2004 में जहां यह सिर्फ 14.6 फीसदी थी, वहीं अब अप्रैल 2025 तक यह 37.9 फीसदी तक पहुंच चुकी है. HDFC बैंक की हिस्सेदारी 1.7 फीसदी से बढ़कर 13.3 फीसदी हो गई है, जबकि ICICI बैंक की हिस्सेदारी 9.1 फीसदी तक पहुंची है. इसके विपरीत सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी गिरकर सिर्फ 2.8 फीसदी रह गई है, जिसमें सिर्फ SBI ही मजबूती से बना हुआ है. NBFCs की हिस्सेदारी भी कम हुई है, जो 2020 में 10.3 फीसदी थी और अब घटकर 4.8 फीसदी रह गई है, इसका मुख्य कारण है HDFC Ltd का HDFC बैंक में मर्जर.
BFSI सेक्टर एक नए दौर में प्रवेश कर चुका है
रिपोर्ट में यह भी ज़िक्र है कि विदेशी निवेशकों (FIIs) का भारत के BFSI सेक्टर के प्रति भरोसा सालों से बरकरार है. 2010 में FII होल्डिंग्स का वैल्यू जहां 2 ट्रिलियन था, वो दिसंबर 2024 तक बढ़कर 23.7 ट्रिलियन हो गया है. HDFC बैंक और ICICI बैंक जैसे प्रमुख प्राइवेट बैंकों में FII की दिलचस्पी लगातार बनी रही है, क्योंकि इन बैंकों ने हर चक्र में स्थिर ग्रोथ, अच्छी एसेट क्वालिटी और तकनीकी लीडरशिप दिखाई है.
हालांकि हाल की वैश्विक परिस्थितियों, जैसे ऊंची ब्याज दरें और टाइट लिक्विडिटी की वजह से मिड और स्मॉल कैप कंपनियों में थोड़ी गिरावट ज़रूर देखने को मिली है. कुल मिलाकर, भारत का BFSI सेक्टर एक नए दौर में प्रवेश कर चुका है और मोतीलाल ओसवाल जैसे ब्रोकरेज्स का मानना है कि इसमें अब भी जबरदस्त संभावनाएं छुपी हैं.
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