नई दिल्ली: दाल, सब्जियों के दाम घटने से थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति मार्च माह में मामूली कम होकर 2.47 प्रतिशत रह गयी. थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति एक महीना पहले फरवरी में 2.48 प्रतिशत और पिछले साल मार्च में 5.11 प्रतिशत रही थी. सरकार की तरफ से आज जारी आंकड़ों के अनुसार सब्जियों, दाल, दलहन, अंडे, मांस और मछली के सस्ते होने से करीब आठ महीने बाद खाद्य पदार्थों में अपस्फीति देखी गयी है.
मार्च में खाने पीने की चीजें 0.29 प्रतिशत सस्ती हुई हैं जबकि फरवरी में इनमें 0.88 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई. इसी तरह मार्च के दौरान सब्जियों के दाम 2.70 प्रतिशत, दाल 20.58 प्रतिशत और गेहूं 1.19 प्रतिशत सस्ते हुए हैं. इस दौरान प्याज और आलू में मुद्रास्फीति क्रमश: 42.22 प्रतिशत और 43.25 प्रतिशत रही है. विनिर्मित उत्पादों की महंगाई 3.03 प्रतिशत रही है जबकि चीनी 10.48 प्रतिशत सस्ती हुई है. हालांकि, ईंधन और विद्युत श्रेणी में मार्च में महंगाई 4.70 प्रतिशत बढ़ी है. वहीं फरवरी में इनकी मुद्रास्फीति 3.81 प्रतिशत बढ़ी थी.
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस की बढ़ती कीमतें और डॉलर के मुकाबले रुपये की हालिया गिरावट से अप्रैल में थोक मुद्रास्फीति बढ़ सकती है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 2017-18 के 2.9 प्रतिशत से बढ़कर 2018-19 में 3.9 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी.’’ जनवरी के मुद्रास्फीति के आंकड़े को 2.84 प्रतिशत के प्राथमिक आकलन से संशोधित कर 3.02 प्रतिशत कर दिया गया.
पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य कीमतों में नरमी के कारण मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति पांच महीने के निचले स्तर 4.28 प्रतिशत रह गई. चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति का हवाला देकर नीतिगत दरों को यथावत रखा था. रिजर्व बैंक ने खुदरा मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान को घटाकर अप्रैल-सितंबर छमाही के लिए 4.7-5.1 प्रतिशत और अक्तूबर-मार्च छमाही के लिए 4.4 प्रतिशत कर दिया था.