सरकार ने घरेलू स्तर पर उत्पादित होने वाले कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स बढ़ाने का फैसला लिया है. सरकार ने विंडफॉल टैक्स के बारे में बुधवार देर शाम अपडेट शेयर किया, जिसमें इसकी जानकारी दी गई.

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अब इतना लगेगा विंडफॉल टैक्स

नए फैसले में कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स को बढ़ा दिया गया है. अभी तक कच्चे तेल पर 4,900 रुपये प्रति टन की दर से विंडफॉल टैक्स लग रहा था. अब विंडफॉल टैक्स की दरें बढ़कर 6,800 रुपये प्रति टन हो गई हैं. नई दरें 4 अप्रैल यानी आज से प्रभावी हो गई हैं. यह विंडफॉल टैक्स डोमेस्टिकली प्रोड्यूस्ड क्रूड ऑयल के लिए है.

इन ईंधनों पर एक्सपोर्ट ड्यूटी जीरो

वहीं दूसरी ओर सरकार ने डीजल, पेट्रोल और विमानन ईंधन यानी एटीएफ पर एक्सपोर्ट ड्यूटी को शून्य पर बरकरार रखा है. इसका मतलब हुआ कि अभी डीजल, पेट्रोल और एटीएफ के निर्यात को मिल रही छूट आगे भी बरकरार रहने वाली है. इससे उन घरेलू कंपनियों को फायदा होता रहेगा, जो रिफाइनरी चलाती हैं और डीजल-पेट्रोल व एटीएफ जैसे रिफाइंड प्रोडक्ट को देश के बाहर बेचती हैं.

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मार्च में भी हुई थी बढ़ोतरी

कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स की बात करें तो यह लगातार दूसरी बढ़ोतरी है. इससे पहले 15 मार्च को सरकार ने कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स को बढ़ाकर 4,900 रुपये प्रति टन किया था. 15 मार्च से पहले कच्चे तेल पर 4,600 रुपये प्रति टन के हिसाब से विंडफॉल टैक्स लग रहा था.

इस तरह से लगता है विंडफॉल टैक्स

भारत ने कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स सबसे पहले जुलाई 2022 में लगाया था. वहीं डीजल, पेट्रोल और विमानन ईंधन के निर्यात पर भी ड्यूटी लगाई गई थी. कई प्राइवेट रिफाइनर कंपनियां ज्यादा मार्जिन कमाने के लिए डीजल, पेट्रोल और एटीएफ की घरेलू बाजार में बिक्री न कर उनका निर्यात कर रही थीं. विंडफॉल टैक्स भी निर्यात पर लगने वाला एक तरह का टैक्स है. यह स्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी के रूप में लगता है. हर पखवाड़े में सरकार इसकी समीक्षा करती है और अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए विंडफॉल टैक्स को घटाने या बढ़ाने का फैसला करती है.

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