Target Maturity Funds: कोरोना काल के शुरू के बाद रिटेल निवेशकों का म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) और शेयर बाजार ( Stock Market) में निवेश करने को लेकर रूझान बढ़ा है. बीते तीन सालों में खुलने वाले डिमैट खातों ( Demat Accounts) की संख्या और हर महीने एम्फी के डाटा इसकी तस्दीक करते हैं. लेकिन रिटेल निवेशकों ने अभी तक टारगेट मैच्योरिटी फंड्स ( Target Mutual Funds) से मुंह फेर रखा है जिसमें दूसरी कैटगरी के निवेशक लगातार अपना निवेश बढ़ा रहे हैं. 


टारगेट मैच्योरिटी फंड्स से रिटेल निवेशकों ने बनाई दूरी 


कैफेम्यूचुअल के एनालसिस के मुताबिक टॉप के 8 टारगेट मैच्योरिटी फंड्स के एसेट्स को देखने पर पता लगता है कि रिटेल निवेशकों ने एक फीसदी भी इन टारगेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश नहीं किया है. डाटा के मुताबिक टारगेट मैच्योरिटी फंड्स में खुल 62,400 करोड़ रुपये जनवरी 2022 तक निवेश किया गया था जिसमें रिटेल निवेशकों का कुल निवेश केवल 140 करोड़ रुपये है जो कि इन फंड्स के कुल एसेट्स का 0.22 फीसदी है. मौजूदा समय में टारगेट मैच्योरिटी फंड्स में ज्यादातर निवेश कॉरपोरेट्स, बैंकों और एचएनआई की तरफ से किया गया है. 


क्या होता है टारगेट मैच्योरिटी फंड्स 


टारगेट मैच्योरिटी फंड्स ओपेन एंडेड पैसिव फंड है जो डेट म्यूचुअल फंड स्कीम के समान है. ये एक प्रकार से इक्विटी इंडेक्स फंड की तरह होता है. टारगेट मैच्योरिटी फंड्स के पोर्टफोलियो में ऐसे बॉन्ड होते हैं जो तय मैच्योरिटी डेट वाले अंडरलाइंग बॉन्ड इंडेक्स का हिस्सा होते हैं. इन बॉन्ड्स के मैच्योरिटी के अवधि के पूरा होने तक उन्हें रखा जाता है. और होल्डिंग अवधि के दौरान मिले ब्याज के रकम को फिर से फंड  में निवेश कर दिया जाता है. मैच्योरिटी के बाद निवेशक को प्रिसंपल अमाउंट के साथ ब्याज वापस किया जाता है.   


रिटेल निवेशकों को जागरूक करने की दरकार 


टारगेट मैच्योरिटी फंड्स को लेकर निवेशकों जागरूकता का अभाव है. एडलवाइज म्यूचुअल फंड की एमडी सीईओ और एम्फी इंडिया की वाइस चेयरमैन राधिका गुप्ता ने ट्वीट किया कि टारगेट मैच्योरिटी फंड्स आज की तारीख में 1.4 लाख करोड़ रुपये की इंडस्ट्री है जो तीन वर्षों में लिक्विड के बाद सबसे बड़ी डेट कैटगरी है. उन्होंने आगे लिखा कि इसकी सफलता को दखते हुए आज की तारीख में 15 से 20 इंडस्ट्री प्लेयर इसे लॉन्च कर चुके हैं. ये कंज्यूमर डिमांड और उनसे मिले फीडबैक का असर है. जहां तक रिटेल निवेशकों का सवाल है इसे लेकर उन्हें शिक्षित किए जाने की जरुरत है. डेट म्यूचुअल फंड्स में भी बहुत ज्यादा रिटेल निवेशकों की भागीदारी नहीं है जबकि ये लंबे समय से मौजूद है.  






राधिका गुप्ता के मुताबिक टारगेट मैच्योरिटी फंड ने लंबी अवधि वाले डेट इंवेस्टिंग के चलन की शुरुआत की जहां पहले 70 फीसदी डेट एसेट्स 3 साल से कम अवधि वाले थे. उन्होंने कहा कि आज हम 2030 के ऊपर वाले 40,000 करोड़ रुपये के एसेट्स मैनेज कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब इस समय ब्याज दर ऊपर नीचे हो रहा है लेकिन यहां स्थायित्व बना हुआ है. उन्होंने कहा कि हमें इस कैटगरी पर पूरा भरोसा है और ये जरूर पैसा बनाकर देगा.   
 


क्यों टारगेट मैच्योरिटी फंड में निवेश है बेहतर


निवेशक 3-5 साल की अवधि वाले टारगेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश कर सकते हैं क्योंकि इसमें मौजूदा समय में बढ़ी हुई यील्ड का फायदा तो मिलगा ही साथ ही ये सुरक्षित भी है. टारगेट मैच्योरिटी फंड की मैच्‍योरिटी तारीख होती है. एसेट एलोकेशन पहले से निर्धारित किया जाता है. और वे गवर्नमेंट सिक्‍योरिटीज, पीएसयू बॉन्ड, कॉरपोरेट बॉन्ड और स्टेट डेवलपमेंट लोन्स में निवेश कर सकते हैं. 3 साल से ज्यादा अवधि तक निवेश बनाये रखने पर निवेशकों को टैक्स का लाभ मिलता है.  टारगेट मैच्योरिटी फंड्स ओपन-एंडेड फंड हैं, इसलिए निवेशक इन्हें मैच्योरिटी से पहले रिडीम कर सकते हैं. 


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