Student Education loan repayment rules: आधुनिक जगत ने कई चीजों में बदलाव किया है. सबसे महत्वपूर्ण बदलाव शिक्षा के क्षेत्र में आया है. लोग शिक्षा के महत्व को समझते हैं और अपनों को बेहतरीन शिक्षा देने की चाहत रखते है. साथ ही महंगी होती शिक्षा ने एजुकेशन लोन लेने वालों की संख्या में इजाफा किया है. छात्रों को लोन की राशि पढ़ाई पूरी होने के बाद चुकानी होती है.

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लेकिन, अगर स्टूडेंट पढ़ाई खत्म होने के बाद भी लोन की राशि का भुगतान ना कर पाएं तो, ऐसी स्थिति में छात्र और गारंटर को किस तरह की परेशानियां का सामना करना पड़ता है. उनकी जिम्मेदारी क्या होती है. इस विषय को जानना बहुत जरूरी हैं, ताकि आपको किसी भी तरह की परेशानी ना हो. 

डिफॉल्ट की स्थिति में कौन करेगा भुगतान?

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एजुकेशन लोन लेने वालों छात्रों की पूरी जिम्मेदारी होती हैं कि, वे लोन राशि का भुगतान करें. हालांकि, नौकरी ना मिलने और बीच में पढ़ाई छोड़ देने की स्थिति में छात्र बैंक से लोन चुकाने की और अधिक समय की मांग कर सकता है. साथ ही छात्र बैंक से अनुरोध कर सकता है कि, उसके लोन की पुनर्भुगतान की शर्तों में बदलाव किए जाए.

अगर इसके बाद भी वह लोन की राशि का भुगतान नहीं कर पाता तो, बैंक उसे डिफॉल्टर घोषित कर देती है. जिसके बाद बैंक गारंटर की यह जिम्मेदारी बनती है कि, वो लोन की भरपाई करें. इसके लिए बैंक गारंटर से भुगतान ले सकता है. 

एजुकेशन लोन नहीं चुकाने पर क्या होगा?

अगर एजुकेशन लोन का भुगतान समय पर नहीं किया जाता है, तो बैंक सबसे पहले नोटिस भेजता है. अगर इसके बाद भी लोन की किस्तें नहीं भरी जाती और बैंक से संपर्क भी नहीं किया जाता तो, ऐसी स्थिति में बैंक वसूली की प्रक्रिया शुरू कर देता है. बैंक जरूरी कानूनी कदम उठाने से लेकर संपत्ति की कुर्की भी कर सकता है. लोन नहीं चुकाने की स्थिति में गारंटर का क्रेडिट स्कोर भी खराब हो जाता है. जिससे उसे आगे लोन लेने में परेशानी हो सकती है. 

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