China on US Tariffs: अमेरिका ने चीन के साथ व्यापारिक तनाव को और बढ़ाते हुए बीजिंग से आयातित सामानों के ऊपर टैरिफ को 104 प्रतिशत से और बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दिया. अपने सोशल मीडिया पोस्ट में राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि वे रेसिप्रोकल टैरिफ पर इसलिए ब्रेक लगाने जा रहे हैं क्योंकि कई व्यापारिक साझीदार देशों ने जवाबी कार्रवाई की बजाय बातचीत की पहल की. लेकिन उन्होंने चीन के ऊपर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उसने सम्मान नहीं किया.

बीजिंग ने टैरिफ पर जवाबी एक्शन लेते हुए बुधवार को अमेरिका से आयातित सामानों के ऊपर टैरिफ को बढ़ाकर 84% कर दिया था. ये ट्रंप को कड़े संदेश देने की शी जिनपिंग की कोशिश थी. हालांकि, जनवरी में सत्ता संभालने के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब तक पांच बार चीन के सामानों पर टैरिफ बढ़ा चुके हैं.

क्या कर सकता है चीन?

चीन लगातार ये कहता आ रहा है कि वे आखिर तक लड़ेगा. इसके साथ ही, विश्व की दो आर्थिक धुरियों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ता जा रहा है. चीन की तरफ से कहा गया है कि ट्रंप के इस कदम के खिलाफ उसने विश्व व्यापार संगठन (WTO) के सामने भी अपना विरोध दर्ज करवाया है. 

Pinpoint Asset Management में चीफ इकॉनोमिस्ट Zhiwei Zhang ने एएफपी से कहा कि चीन ने ये साफ संकेत दे दिया है कि वे पीछे नहीं मुड़ेगा. उन्होंने आगे कहा कि इस लड़ाई के समाधान का कोई तेजी और आसान रास्ता नहीं है.

स्काई न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की तरफ से दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर नियंत्रण किया जा सकता है. इन खनिजों का इस्तेमाल उच्च प्रौद्योगिकी वाले उत्पाद जैसे कम्प्यूटर चिप्स और इलैक्ट्रिक बैटरियों के लिए किया जाता है. दुनिया में किए जा रहे दुर्लभ खनिजों की सप्लाई का एक बड़ा हिस्सा चीन के नियंत्रण में है. इसके अलावा, चीन ज्यादा प्रभाव डालने वाले प्रोडक्ट्स जैसे कृषि सामान और एप्पल-टेस्ला जैसी हाई प्रोफाइल कंपनियों को निशाना बना सकता है. हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की तरफ से ज्यादा से ज्यादा विदेशी निवेश को आकर्षित करने का प्रयास किया जा रहा है. 

ये भी पढ़ें: किस प्लान से डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के बाकी देशों को छोड़ सिर्फ चीन पर लगाया 125% का टैरिफ