डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के राष्ट्रपति बनने के बाद पूरी दुनिया में उनके प्रभाव को देखा जा सकता है. ऐसे में दुनियाभर में हो रहे कई बदलावों को लोग ट्रंप प्रशासन से भी जोड़कर देख रहे हैं. हाल ही में यूरोपीय संघ (EU) ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अपने टेक नियमों को आसान करने की बात कही है. ऐसे में लोग सवाल उठा रहे हैं कि ईयू ने ये ट्रंप प्रशासन के दाबव में किया है.

अब इसी पर यूरोपीय कमीशन की डिजिटल पॉलिसी प्रमुख हेना वीरक्कुनेन ने जवाब देते हुए कहा कि यह कदम यूरोपीय संघ की खुद की मर्जी और प्रतिस्पर्धात्मक महत्वाकांक्षाओं (Competing Ambitions) से प्रेरित है, न कि अमेरिकी बिग टेक कंपनियों या ट्रंप प्रशासन के दबाव के कारण, हमने ये फैसला लिया है.

अमेरिकी दबाव से इनकार

ट्रंप प्रशासन के दबाव को लेकर सवाल इसलिए उठ रहे थे, क्योंकि यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब हाल ही में पेरिस में हुए AI समिट में अमेरिकी अधिकारियों ने बिग टेक को टार्गेट करने वाले अंतरराष्ट्रीय नियमों पर चिंता जताई थी. हालांकि, वीरक्कुनेन ने जोर देकर कहा कि EU का डीरेग्युलेटरी कदम अमेरिकी प्रभाव से स्वतंत्र है और यह ब्लॉक की ब्यूरोक्रेसी और रेड टेप को कम करने की प्रतिबद्धता से प्रभावित है.

वीरक्कुनेन ने क्या कहा

वीरक्कुनेन ने फाइनेंशियल टाइम्स से बात करते हुए कहा कि EU का लक्ष्य AI नियमों का पालन करने वाली कंपनियों की मदद करना और उन्हें सपोर्ट देना है. उन्होंने जोर देकर कहा कि EU AI के ट्रांसफॉर्मेटिव पोटेंशियल से पीछे नहीं रहना चाहता और इसके लिए यूरोपीय कंपनियों पर रिपोर्टिंग के बोझ को कम करना जरूरी है.

AI एक्ट और नए नियम

दरअसल, EU का AI एक्ट AI टेक्नोलॉजी को जोखिम के स्तर के आधार पर अलग-अलग बांटता है. हाई-रिस्क वाली AI टेक्नोलॉजी को सख्त रिपोर्टिंग नियमों का पालन करना होता है. जबकि, GPT-4 और जेमिनी जैसी शक्तिशाली AI मॉडल्स को भी अपनी ट्रेनिंग मेथड्स के बारे में ज्यादा पारदर्शिता दिखानी होती है.

इस पर वीरक्कुनेन ने कहा, "हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम अपनी कंपनियों पर जरूरत से ज्यादा रिपोर्टिंग का बोझ न डालें." हालांकि, कुछ टेक कंपनियों ने आगामी कोड ऑफ प्रैक्टिस को लेकर चिंता जताई है, लेकिन वीरक्कुनेन ने साफ किया कि यह डीरेग्युलेटरी कदम इन चिंताओं के कारण नहीं उठाया गया है.

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