Moody's Warns on Trans-Shipment Tariffs: अमेरिका की तरफ से लगाए गए 40 प्रतिशत ट्रांस-शिपमेंट टैरिफ (पारगमन शुल्क) से भारत और आसियान क्षेत्र की कंपनियों के लिए अनुपालन से जुड़ी बड़ी दिक्कतें पैदा होने की आशंका है. रेटिंग एजेंसी Moody's ने अपनी रिपोर्ट में यह चिंता जताई है कि इस टैरिफ का खास असर मशीनरी, बिजली उपकरण और सेमीकंडक्टर क्षेत्रों पर पड़ सकता है.

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यूएस रेटिंग एजेंसी ने जताई आशंका

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 31 जुलाई को उन वस्तुओं पर 40 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जिन्हें ‘शुल्क से बचने के लिए तीसरे देश के रास्ते’ भेजा गया हो. यह टैरिफ व्यापक देश-स्तरीय शुल्कों के अतिरिक्त लागू होगा. Moody's ने मंगलवार को ‘एशिया-प्रशांत क्षेत्र में व्यापार’ पर केंद्रित अपनी रिपोर्ट में कहा कि अभी स्पष्ट नहीं है कि ट्रंप प्रशासन ‘ट्रांस-शिपमेंट’ को किस तरह परिभाषित करेगा. हालांकि, इस कदम के निशाने पर मुख्य रूप से चीन में उत्पादित वस्तुएं हैं, जिन्हें तीसरे देशों के जरिए अमेरिका भेजा जाता है.

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रेटिंग एजेंसी ने कहा कि पारगमन शुल्क से जुड़ी अस्पष्टता आसियान देशों की इकोनॉमी के लिए जोखिम पैदा करती है. यदि अमेरिका इस परिभाषा को सीमित रखता है और केवल चीन से आयातित, हल्के रूप से प्रसंस्कृत या दोबारा लेबल लगाकर भेजी वस्तुओं को ही शामिल करता है, तो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं पर इसका असर सीमित रहेगा.

भारतीय कंपनियों पर बड़ा असर!

इसके उलट, यदि अमेरिका ट्रांस-शिपमेंट की व्यापक व्याख्या अपनाता है और उन वस्तुओं को भी शामिल करता है, जिनमें चीनी सामग्री का कोई भी महत्वपूर्ण अंश है, तो इससे एशिया-प्रशांत आपूर्ति शृंखला को गंभीर आर्थिक नुकसान हो सकता है.  रेटिंग एजेंसी के मुताबिक, पारगमन जोखिमों का सबसे अधिक सामना मशीनरी, बिजली उपकरण, उपभोक्ता ऑप्टिकल उत्पादों और सेमीकंडक्टर क्षेत्रों को करना पड़ सकता है.

Moody's ने यह भी कहा कि तीसरे देश के रास्ते आने वाले उत्पाद अधिकतर ‘मध्यवर्ती कच्चे माल’ के रूप में होते हैं, न कि अंतिम उपभोक्ता वस्तुओं में. यूएस रेटिंग एजेंसी ने कहा कि यह टैरिफ आसियान के निजी क्षेत्र के लिए बड़ी अनुपालन चुनौतियां खड़ी करेगा. एक्सपोर्टर्स को यूएस टैरिफ से बचने के लिए उत्पादों का ‘महत्वपूर्ण रूपांतरण’ साबित करने में अतिरिक्त सतर्कता और प्रमाणन शर्तों का सामना करना पड़ेगा.

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