H-1B Visa: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने H-1B वीजा को लेकर एक नया फैसला लेते हुए इसके लिए फीस को बढ़ा दिया है. यानी कि अब अगर H-1B वीजा पर कोई कंपनी किसी विदेशी कर्मचारी को अमेरिका लाना चाहेगी, तो उसे 100,000 डॉलर की फीस भरनी होगी. जबकि पहले इस वीजा के लिए लगभग 5 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ते थे. इसी बीच, अमेरिका की दो बड़ी कंपनियों ने सोमवार को अपनी कंपनी में दो भारतीय अधिकारियों का प्रमोशन कर सबको चौंका दिया है. इनमें से एक हैं श्रीनिवास 'श्रीनि' गोपालन. 

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कौन हैं श्रीनिवास गोपालन? 

IIM- अहमदाबाद के स्टूडेंट रह चुके श्रीनिवास फिलहाल टेलीकॉम सेक्टर की दिग्गज अमेरिकी कंपनी टी-मोबाइल  COO (Chief Operating Officer) हैं. हाल ही में हुए प्रोमोशन के तहत 55 साल के श्रीनिवासन 1 नवंबर को टी-मोबाइल के नए CEO (Chief Executive Officer) बनेंगे. श्रीनिवासन 2020 से कंपनी का कामकाज संभाल रहे माइक सीवर्ट की जगह लेंगे. माइक अब कंपनी के नए वाइस चेयरमैन के पोजीशन पर होंगे. श्रीनिवासन ने इस बारे में लिंक्डइन पर एक पोस्ट के जरिए आभार जताया है. उन्होंने लिखा है,  टी-मोबाइल का अगला सीईओ बनकर मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं. मैं लंबे समय से कंपनी की हासिल की गई उपलब्धियों को देखकर हैरान रहा हूं-  ग्राहकों की सेवा के लिए निडरता से वायरलेस का आविष्कार करना, जिसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था."

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गोपालन के नाम कई उपलब्धियां 

गोपालन ने अपने करियर की शुरुआत हिंदुस्तान यूनिलीवर में मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में की थी. इसके बाद उन्होंने भारती एयरटेल, वोडाफोन, कैपिटल वन और डॉयचे टेलीकॉम जैसी कई बड़ी कंपनियों में अहम पदों पर काम किया है. इस दौरान उन्होंने कई बड़ी उपलब्धियां भी हासिल की. इन कंपनियों में काम करते हुए उन्होंने लाखों घरों में फाइबर नेटवर्क पहुंचाया, जर्मनी में रिकॉर्ड मोबाइल शेयर हासिल की वगैरह. टी मोबाइल में गोपालन ने टेक्नोलॉजी, कन्ज्यूमर और बिजनेस डिवीजन का कामकाज संभाला है. साथ ही 5G, AI और दूसरे डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की भी देखरेख की है.

 राहुल गोयल को भी मिली बड़ी जिम्मेदारी 

इस बीच, शिकागो-बेस्ड बेवरेज कंपनी मोल्सन कूर्स ने 49 साल के राहुल गोयल को 1 अक्टूबर से अपना नया प्रेसिडेंट और CEO चुना है. वह गेविन हैटर्सली की जगह लेंगे. मूल रूप से भारत के रहने वाले राहुल गोयल ने मैसूर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. इसके बाद वह बिजनेस की पढ़ाई के लिए डेनवर चले गए थे. वह अमेरिका, ब्रिटेन और भारत में कूर्स और मोल्सन ब्रांड्स के साथ काम कर चुके हैं.

अपनी इस नई जिम्मेदारी को लेकर राहुल ने कहा कि वह वह कंपनी की विरासत को आगे बढ़ाते हुए चुनौतियों का डटकर सामना करने के लिए तैयार हैं. सिर्फ गोपालन या राहुल ही नहीं, बल्कि भारतीय मूल के कई लोग अमेरिका की कई कंपनियों में बड़े पदों पर बने हुए हैं. माइक्रोसॉफ्ट में सत्य नडेला, अल्फाबेट में सुंदर पिचाई. अब फॉर्च्यून ग्लोबल 500 की दूसरी कंपनियां भी इसी नक्शेकदम पर चल रही हैं. 

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